
अधिकांश पार्षद कर रहे हैं प्रक्रिया की मुखालफत
जेठ की तपती धूप में नगर पालिका बिजयनगर की ओर से जारी टेंडर प्रक्रिया उबाल पर है। पार्षद टेंडर प्रक्रिया से कतई सहमत नहीं दिख रहे। साधारण सभा की बैठक निरस्त होने से नाराज चल रहे पार्षद टेंडर निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। टेंडर प्रक्रिया को साधारण रूप में इस तरह समझें कि आइसक्रीम की साइज छोटी कर दी गई और दाम भी बढ़ा दिए गए….। ऐसे में नगर पालिका में भ्रष्टाचार की आंच पर पक रही दाल की कौन कहे, पतीला ही काली पड़ चुकी है। प्रस्तुत है खारीतट संदेश की विस्तृत रिपोर्ट…
बिजयनगर। नगरपालिका प्रशासन की ओर से हाल ही में जारी किए गए सवा करोड़ के टेंडर का मामला गर्मा गया है। पक्ष-विपक्ष के कई पार्षदों ने इसमें भ्रष्टाचार व अनियमितता का आरोप लगाते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है। पार्षदों का कहना है कि किस काम के लिए कितनी राशि और किस वार्ड में खर्च होगी इस बात का जब तक खुलासा नहीं होता, वे इस टेंडर का अनुमोदन नहीं करेंगे। दूसरी ओर पालिका प्रशासन इस टेंडर का अनुमोदन करवाने के लिए उतावलापन दिखा रहा है।
हाल ही में पालिका प्रशासन की ओर से जारी किए गए सवा करोड़ के टेंडर के मामले में कांग्रेस व भाजपा के पार्षदों का आरोप है कि इसमें कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि किस वार्ड में विकास कार्यों के लिए कितनी राशि के कार्य होंगे। वहीं इन पार्षदों का आरोप भी है कि कांग्रेस के ही एक पार्षद जो इन दिनों पालिकाध्यक्ष के खासमखास बने हुए हैं उस पार्षद की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध है। इसी मामले को लेकर पिछले दिनों एक पार्षद के आवास पर कांग्रेसी पार्षदों की एक बैठक भी आयोजित की गई। इस बैठक में पालिकाध्यक्ष के समक्ष कई पार्षदों ने विरोध के स्वर बुलंद करते हुए कहा कि इस तरह के टेंडर अनुमोदन करने से उनकी छवि को बट्टा लगेगा। ऐसी हालत में वे इसका समर्थन नहीं कर सकते।
सूत्रों के मुताबिक टेंडर के अनुमोदन के लिए 17 मई को पालिका प्रशासन ने साधारण सभा आहूत की थी, लेकिन इसके एक दिन पूर्व पार्षद के आवास पर हुई कांग्रेस पार्षदों की बैठक में पार्षदों के बगावती सुर को देखते हुए अगले दिन साधारण सभा की बैठक ऐनवक्त निरस्त की दी गई। इससे पार्षदों की नाराजगी और बढ़ गई। इस मामले को लेकर जहां कांग्रेसी पार्षदों ने बगावती तेवर दिखाए हैं वहीं भाजपा के पार्षद भी इसका विरोध कर रहे हैं।
इस सम्बंध में स्वायत्त शासन विभाग के उपनिदेशक को पालिका उपाध्यक्ष सहदेवसिंह कुशवाह, पार्षद विनय भण्डारी, नौशाद मोहम्मद, राजेश मुणोत, सुशीला सेन, संजू शर्मा, संजय शर्मा, अशोक आलोरिया, दिनेश कोठारी, संजीव भटेवड़ा, नरेन्द्र बाफना, जगदीशसिंह राठौड़ आदि ने पत्र लिखकर उक्त टेंडर के मामले में अनियमितता की जांच करने व ऐनवक्त पर टेंडर अनुमोदन के लिए प्रस्तावित बैठक निरस्त करने के मामले की जांच की मांग की है। इस मामले में खारीतट संदेश ने पड़ताल कर पार्षदों से चर्चा की और उनकी राय को जाना।
सुप्रीम कोर्ट ने लगा रखी है रोक, टेंडर में बनास की बजरी इस्तेमाल करने का है जिक्र
पालिका द्वारा जारी किए गए सवा करोड़ के टेंडरों में किसी भी प्रकार की डिटेल नहीं है। पुराने टेंडरों के मुकाबले नए टेंडर में बीएसआर की दरे ही चेंज की दी गई। टेंडर की दरों में हुए बदलाव के पीछे मुख्य कारण भ्रष्टाचार है। यह टेंडर नियमविरुद्ध है। सवा करोंड के टेंडर में 5 जोन बना दिए और 25-25 लाख का बजट फिक्स कर दिया। उसमें यह नही बताया गया कि किस वार्ड के लिए क्या बजट है और उस बजट में किस मद से कितना पैसा खर्च होना है? वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने बनास नदी की बजरी खनन पर रोक लगा रखी है जबकि इस टेंडर में जो बजरी इस्तेमाल की जाएगी वो बनास नदी की ही होगी ऐसी शर्त का उल्लेख किया हुआ है। इससे तो यह प्रतीत होता है कि पालिका सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर है।
संजीव भटेवड़ा, सहवरण सदस्य, नगर पालिका बिजयनगर
पहले के टेंडरों और वर्तमान के टेंडरों में 35 प्रतिशत दरें बढ़ा दी गई। अगर टेंडर रिवाईज होता है तो पहले की दरों से ही वापस वो ही टेंडर रिवाईज होता है न कि दरे चेंज की जाती हैं। पहले के टेंडर में विजय श्रमिक कॉलोनी से बरल रोड तक का सड़क निर्माण जारी किया गया। वहीं इसी टेंडर को रिवाईज करते हुए सड़क निर्माण की सामग्री में कटौती की गई और रेट बढ़ा दी गई। यदि सामग्री कम की गई तो वैसे ही सड़क कम बनेगी। जब सड़क कम बनेगी तो रेट और राशि बढऩे का सवाल ही नहीं उठता। पालिका प्रशासन ने मनमानी करते हुए बीएसआर की दरें बढ़ाई और पुराने टेंडरों को निरस्त कर नए टेंडर जारी किए। इसी संदर्भ में मैंने पालिकाध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखकर सड़क निर्माण में हुई इस समस्या के बारे में बताया तो उसका जवाब आज दिन तक मेरे पास नहीं आया है।
नौशाद मोहम्मद, पार्षद वार्ड 8, बिजयनगर
वेबसाइट पर उपलब्ध है दरें
पुराने टेंडर जिस बीएसआर दर से जारी किया गया वो बीएसआर दर पीडब्ल्यूडी विभाग की दरें थी। वर्तमान में स्वायत्त शासन विभाग ने रूडिस्कों के तहत बीएसआर दरों में संशोधन किया गया है। इसके तहत अब विकास प्राधिकरण, नगर पालिका, जेडीए इत्यादि में जो टेंडर लगाए जाएंगे उनमें जो बीएसआर दर होगी वो रूडिस्कों वाली दरें लगाई जाएंगी। रही बात सदन को जानकारी देने की तो यह दरें विभागीय वेबसाईट पर भी उपलब्ध हैं।
कमलेश कुमार मीणा, ई.ओ, नगर पालिका, बिजयनगर
नए टेंडर न्यायोचित नहीं
पूर्व के टेंडर को निरस्त कर नए टेंडर जो जारी हुए उससे मैं सहमत नहीं हूं। सवा करोड़ के जारी टेंडरों में किसी भी प्रकार का ब्यौरा नहीं दिया गया है। सिर्फ 5 जोन बनाकर 25-25 लाख रुपए का बजट बनाया गया है। इस टेंडर में कहीं भी यह जानकारी नहीं है कि किसी-किस वार्ड में कितने-कितने राशि के किस-किस मद में कार्य होंगे। पिछले टेंडरों में जो बीएसआर दर थी उसकों चेंज कर नए टेंडर जारी कर दिए गए जो कि न्यायोचित नहीं है।
विनय भंडारी, पार्षद, बिजयनगर
ठेकेदारों व नगर पालिका की मिलीभगत
ठेकेदारों व नगर पालिका प्रशासन में मिलीभगत है। कम समय अंतराल में पूर्व के टेंडर को निरस्त कर नए टेंडर जारी करना वो भी कार्य कम कर दरें बढ़ाना, इससे साफ प्रतीत होता है कि पालिका में भ्रष्टाचार कर आर्थिक लाभ प्राप्त करना कार्य ही शेष रह गया है।
जगदीशसिंह राठौड़, पार्षद वार्ड 20, बिजयनगर
सवाल टेंडर प्रक्रिया का नहीं है। सवाल यह है कि शहर में विकास के कार्य होने चाहिए, अगर मार्केट दरों पर गुणवत्तापूर्ण कार्यों के टेंडर होते हैं तो उसमें किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होगी।
सहदेवसिंह कुशवाह, उपाध्यक्ष, नगर पालिका बिजयनगर
जिस प्रकार टेंडरों में बदलाव किया गया है उससे मैं सहममत नहीं हूं। जोन वाईज जारी किए गए टेंडर में कार्यों व राशि का वर्गीकरण किया जाना चाहिए जो कि नहीं किया गया। इससे वार्डों में किस मद में कितना खर्च करना है, इसकी जानकारी टेंडर में नहीं है।
सुशीला सेन, पार्षद वार्ड 22, बिजयनगर
विकास कार्यों के लिए जारी किए गए टेंडर में कुछ समय के अंतराल में किए गए बदलाव से मैं सहमत नहीं हूं। पुराने टेंडर निरस्त कर नए टेंडर निकाले गए, इसकी हम लोगों को जानकारी ही नहीं दी गई। कुछ समय पूर्व एक पूर्व पार्षद आया था। उसने बताया कि पार्षद लोग कह रहे हैं कि शहर में विकास के काम नहीं हो रहे हैं इसलिए आप इस पर हस्ताक्षर कर दो ताकि काम जल्दी शुरू हो सके। इसलिए चेयरमैन साहब ने यह लेटर दिया है, इस पर आप हस्ताक्षर कर दो। उसके बाद पता चला कि टेंडर में अनियमितता बरती गई है। इस बात का हमने साधारण सभा के एक दिन पूर्व पार्षद के घर पर आयोजित औपचारिक बैठक में इस मुद्दे को पालिकाध्यक्ष के समक्ष उठाया तो उन्होंने हमारी किसी भी बात का जवाब नहीं दिया और न ही हमारी समस्याएं सुनी।
संजू शर्मा, पार्षद वार्ड 24, बिजयनगर
टेंडर प्रक्रिया में हुए बदलाव से मैं सहमत नही हूं। पूर्व में 24/10/2017 को वार्ड 19 में राजनगर में केकड़ी रोड से गुलाबपुरा रोड स्थित भैरूजी के स्थान तक सीसी नाले को निर्माण करने के लिए टेंडर खोला गया। उसमें एकल निविदा आने पर राज्य सरकार के आदेश क्रमांक 28816 दिनांक 14/07/2017 एवं 30/10/2017 की मंडल बैठक में स्वीकृति होने के बावजूद इसी नाले का दोबारा टेंडर जारी किया गया।, जो कि राज्य सरकार व मंडल बैठक का खुलेआम उल्लंघन है। अगर पूर्व के टेंडर में कोई खामी थी तो बिना जांच व निष्कर्ष के पुन: टेंडर क्यों निकाला गया? इस कृत्य से स्वत: ही पालिका प्रशासन की कार्यशैली पर अनियमितता के आरोप लगना लाजमी है। जब 16 मई को पार्षदों की हुई औपचारिक बैठक में टेंडर के अनुमोदन को लेकर हुई बातचीत में जब भारी सवाल-जवाब हुए तब यह निर्णय रखा गया कि टेंडर को निरस्त करवा दिया जाएगा। फिर 17 मई को प्रस्तावित साधारण बैठक को ऐनवक्त पर क्यों निरस्त किया गया। बैठक निरस्त है इसकी जानकारी भी पार्षदों को सभाभवन में बैठने के बाद दी गई।
भवानीशंकर राव, पार्षद वार्ड 19, बिजयनगर
टेंडरों में किए गए बदलावों से मैं सहमत नही हूं। मेरे वार्ड में शमसान रोड पर एक तरफ की बची हुई सड़क के काम में भी मात्रा कम दरें बढ़ाकर एक तरह से उस क्षेत्र के लोगों के साथ अन्याय किया है। वैसे भी पूर्व में बने रोड गुणवत्ता सही नहीं होने की वजह से अभी से सड़क निर्माण की गुणवत्ता की पोल खुलती नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर बची हुई सड़क का भी टेंडर रिवाईज कर सड़क को और छोटा कर दिया और सड़क निर्माण की लागत बढ़ा दी। इससे पालिका कोष को नुकसान होगा।
संजय शर्मा, पार्षद वार्ड 18, बिजयनगर