
बरसात के दिनों में उपचार में बाधक बन जाता है गड्ढा
बिजयनगर। स्थानीय पीकेची चिकित्सालय के बगल में नवनिर्मित पशु चिकित्सालय भवन निर्माण कार्य में खामियों के चलते अपने उद्देश्य से भटक गया है। बरसात के दिनों में अस्पताल परिसर में पानी भर जाने के कारण बीमार पशुओं व उनके मालिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद अधिकारी व जनप्रतिनिधि कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार पिछले कई वर्षों से स्थानीय पशु चिकित्सालय किराये के भवनों में चल रहा था। वर्षों तक पशु चिकित्सालय ब्यावर रोड स्थित एक भवन में संचालित किया जाता था, जहां फिलहाल बड़ौदा ग्रामीण क्षेत्रीय बैंक की शाखा है। इसके बाद कई वर्षों तक कृषि मंडी परिसर में पशु चिकित्सालय का संचालन किया जाता रहा।
इसके बाद राज्य सरकार ने पीकेवी चिकित्सालय के बगल में एक भूखण्ड पशुपालन विभाग को अस्पताल निर्माण के लिए आवंटित कर दिया, जहां पर सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से पशु चिकित्सालय भवन का निर्माण करवाया गया। उसी समय पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने निर्माण में रही खामियों से सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों को अवगत करा दिया था, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। निर्माण के बाद उक्त भवन पशुपालन विभाग को सुपुर्द कर दिया गया। पशु चिकित्सालय प्रभारी डॉ. माने अंकुश ने बताया कि समस्या से वे स्थानीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को अवगत करा चुके है इसके बावजूद मौके पर स्थिति जस की तस हैं।
प्रतिदिन औसतन 15 पशु आते हैं यहां
पशु चिकित्सालय में औसतन रोजाना करीब 15 पशु उपचार के लिए लाए जाते हैं। वहीं बारिश के दिनों में मात्र एक या दो पशु मालिक ही अपने पशुओं को लेकर यहां आने का जोखिम उठाते हैं।
बारिश में हालात बदतर
पशु चिकित्सालय भवन बरसात के दिनों में तीन ओर से पानी से घिरा होने के कारण टापू में तब्दील हो जाता है। वहीं अस्पताल परिसर में पशुओं के गर्भाधारण व इंजेक्शन, मरहम पट्टी आदि कार्य में प्रयुक्त लोहे के पाईप से निर्मित टेविस का आधा हिस्सा भी पानी में डूब जाता है।
इनका कहना है
अभी वर्षा काल में समय शेष है। ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधि व अधिकारी इस ओर ध्यान देंगे तो बीमार पशुओं को वर्षाकाल में राहत मिलेगी।
डॉ. माने अंकुश, प्रभारी, पशु चिकित्सालय-बिजयनगर