
बिजयनगर नगर पालिका की लापरवाही अपने चरम पर है। नगर पालिका प्रशासन ने भवन निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी है, इसके बावजूद दिन-रात निर्माण कार्य चल रहा है। यह निर्माण कार्य किसी कस्बे की गलियों में नहीं बल्कि शहर के मेनरोड पर चल रहा है। इसके बावजूद नगर पालिका प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। प्रस्तुत है खारीतट संदेश की विशेष रिपोर्ट…
बिजयनगर। कस्बे के ब्यावर रोड पर राजकीय चिकित्सालय के सामने व आर्य समाज मंदिर के बगल में स्थित निर्माणाधीन आवासीय और व्यवसायिक भवन निर्माण कार्य रोक लगाने के बावजूद जारी है। नगर पालिका प्रशासन ने नोटिस जारी कर निर्माण कार्य पर रोक लगाई है। रोक के बावजूद भवन निर्माण कार्य जारी रहने पर लोगों ने नगर पालिका प्रशासन की नीयत और कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। पालिका प्रशासन जहां निर्माण कार्य पर रोक का दावा कर रहा है वहीं आस-पड़ोस के लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य दिन-रात जारी है।
जानकारी के अनुसार राजकीय चिकित्सालय के सामने जिस स्थान पर वर्तमान समय में ओसवाल मेडिकल व विजय मेडिकल नामक दो केमिस्ट की दुकानें है। इन दुकानों के पीछे स्थित मय उक्त दुकानों ब्लॉक संख्या 90 भूखण्ड संख्या 3 व 4 जिसका कुल क्षेत्रफल 502.22 वर्गगज है। इस भूखण्ड के नामांतरण के लिए बलवीर कुमार चोरडिय़ा पुत्र बिरदीचन्द चोरडिय़ा ने सुन्दर सेवा सदन c/o बलवीर कुमार चोरडिय़ा पुत्र बिरदीचन्द चोरडिय़ा के नाम से नामांतरण का आवेदन किया था। इस पर नगर पालिका प्रशासन ने 15 जुलाई 2016 को नामांतरण जारी कर दिया। नामांतरण के समय सर्च रिपोर्ट पर वकील के हस्ताक्षर नहीं होने के बावजूद पालिका प्रशासन ने दरियादिली दिखाते हुए नामांतरण प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इसके बाद बलवीर कुमार चोरडिय़ा ने 26 अगस्त 2016 को इस भूखण्ड पर आवासीय व व्यवसायिक निर्माण के लिए निर्माण स्वीकृति का आवेदन पालिका प्रशासन के समक्ष नक्शे के साथ प्रस्तुत किया।
इस पर पालिका प्रशासन व भूखण्ड धारक ने सारे नियम-कानून ताक में रख दिए और भूखण्ड धारक निर्माण स्वीकृति जारी करवाने में सफल हो गया। निर्माण स्वीकृति लेते समय भूखण्डधारक ने नगर पालिका में प्रस्तुत किए गए नक्शे में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया कि वह निर्माण के लिए प्रस्तावित भवन में तलघर का निर्माण कराएगा। इसके बावजूद मौके पर हाल ही में निर्मित किए गए तिमंजिला भवन के नीचे तलघर का निर्माण भी नियमों को ताक में रखकर करवा दिया गया है। जिस समय पालिका प्रशासन ने निर्माण स्वीकृति जारी की थी उस समय भूखण्डधारक को सैटबैक छोडऩे की हिदायत दी थी।
मामले में रोचक पहलू यह है कि भूखण्ड धारक ने नक्शा स्वीकृति के समय पालिका को इस बात के लिए भी अंधेरे में रखा कि उक्त भूखण्ड के मैन रोड पर ओसवाल मेडिकल एवं विजय मेडिकल नामक दो केमिस्ट की दुकानें संचालित हैं और दुकानदारों ने न्यायालय से इसके निर्माण के खिलाफ स्थगन आदेश ले रखा है। दूसरा तथ्य यह है कि भूखण्डधारक की ओर से नगर पालिका में पेश की गई सर्च रिपोर्ट में वकील के हस्ताक्षर ही नहीं है। इसके बावजूद नगर पालिका प्रशासन ने दरियादिली दिखाते हुए बलवीर चोरडिय़ा के नाम निर्माण स्वीकृति जारी कर दी।
इस पर ओसवाल मेडिकल व विजय मेडिकल के प्रोपराईटर ने स्वायत्त शासन विभाग को शिकायत भेजी। इस पर स्वायत्त शासन विभाग ने नगर पालिका प्रशासन को निर्माण कार्य पर रोक लगाने के आदेश दिए। इसके बाद हरकत में आए पालिका प्रशासन ने भूखण्ड धारक को नोटिस जारी कर निर्माण कार्य तुरंत प्रभाव से बंद करने की हिदायत दी। इसके बावजूद मौके पर कार्य जारी है? उक्त भवन के निर्माण कार्य में मजदूर दिन-रात जुटे रहते हैं।
यह सवाल जिन्हें जवाब चाहिए
नगर पालिका प्रशासन ने 12 अप्रेल 1976 को चोरडिय़ा परिवार को एक नोटिस जारी किया था इसमें यह उल्लेख किया गया था कि उक्त सम्पति आपकी बताई जाती है। अत: इसके समस्त प्रमाण पत्र बाबत आपके स्वामित्व मय पत्रावलियों के आवश्यक कार्य के लिए 15 दिन की अवधि में प्रस्तुत करें। यह नोटिस नगर पालिका के कर निर्धारक की ओर से गृहकर की वसूली के लिए चोरडिय़ा परिवार को दिया गया था।
इसके जवाब में चोरडिय़ा परिवार के गुलाबचन्द चोरडिय़ा ने 12 जुलाई 1976 को नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी के नाम एक प्रार्थना पत्र दिया। इसमें चोरडिय़ा ने उल्लेख किया कि सुंदरबाई पत्नी बिरदीचन्द चोरडिय़ा के नाम से राजकीय अस्पताल के सामने धर्मशाला का निर्माण किया गया है, जिसका उपयोग आम रोगियों के संरक्षकों के रहने के लिए होता है। अत: सार्वजनिक उपयोग की स्थिति में यह निजी सम्पति नहीं है। अत: इसको गृहकर माफ किया जाए। इस प्रार्थना पत्र के आधार पर नगर पालिका प्रशासन ने उक्त भवन को गृहकर से मुक्त कर दिया। इसके बावजूद नगर पालिका प्रशासन की ओर से निर्माण स्वीकृति देते समय कई खामियां छोड़ दी गई है।
विधि सलाहकार से मांगी है सलाह
नगर पालिका प्रशासन ने उक्त निर्माण कार्य पर फिलहाल रोक लगा दी है। पालिका के विधि सलाहकार से सलाह मांगी गई है। इसके बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।
कमलेश कुमार मीणा, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका, बिजयनगर
रोक के बावजूद हो रहा कार्य
निर्माण कार्य पर रोक के बावजूद निर्माण कार्य दिन-रात जारी है।
त्रिलोक मित्तल, प्रोपराईटर, विजय मेडिकल स्टोर
सख्त कार्रवाई हो
निर्माण कार्य पर रोक के बावजूद मौके पर निर्माण कार्य जारी होना गलत और गैरकानूनी है। अत: पालिका प्रशासन को चाहिए कि मामले में सख्ती से कार्यवाही की जाए।
दीपिका वर्मा, पार्षद, वार्ड 5
रात में चल रहा कार्य
नगर पालिका प्रशासन ने भले ही नोटिस देकर निर्माण कार्य रोकने की खानापूर्ति कर दी हो लेकिन हकीकत यह है कि इस भवन में दिन ही नही अपितु रात में भी निर्माण कार्य जारी रहता हैं। यह बात तो इस रोड से गुजरने वाले आम आदमी को भी पता है।
किशन कुमार शर्मा, क्षेत्रवासी, नाड़ी मोहल्ला, बिजयनगर