
बिजयनगर में करीब 18 वर्ष पूर्व बसी शहर की गांधीनगर कॉलोनी में आज भी लोगों को मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हो रही। हलक तर करने के लिए लोगों को पसीने बहाने पड़ रहे हैं। कच्ची-पक्की सड़कों पर रोडलाइट नहीं होने से अंधेरे का फायदा समाजकंटक उठाते हैं। आलम यह है कि सांझ ढलते ही इन झाडिय़ों में समाजकंटकों का जमावड़ा लगने लगता है…
बिजयनगर। आईडीएसएमटी परियोजना के तहत स्थानीय औद्यौगिक क्षेत्र के निकट मौखमपुरा मार्ग पर नगर पालिका की ओर से करीब 18 वर्ष पूर्व बसाई गई गांधीनगर कॉलोनी के बाशिंदे मूलभूत सुविधाओं को मोहताज हैं। हालात यह है कि इतने बरस बाद भी और जलदाय विभाग के स्थानीय कार्यालय के निकटतम होने के बावजूद यहां रहने वाले लोग इस भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर इस कॉलोनी के बाद बसी दर्जनों कॉलोनियों में जलदाय विभाग की ओर से जलापूर्ति की जा रही हैं। लेकिन इस कॉलोनी में अभी तक पाईप लाईन तक भी नही बिछी है। अब क्षेत्र के लोगों को अंतिम आस मसूदा विधायक सुशील कंवर पलाड़ा से है जिन्होंने क्षेत्रवासियों को शीघ्र ही समस्या से छुटकारा दिलाने का भरोसा दिलाया है।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2001 में आईडीएसएमटी परियोजना के तहत स्थानीय नगर पालिका की ओर से गांधीनगर आवासीय कॉलोनी के लिए भूखण्ड आवंटित किये गए थे। उस समय नगर पालिका प्रशासन ने यह दावा किया था कि इस कॉलोनी में समस्त मूलभूत सुविधाएं नगर पालिका की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी। इस पर लोगों ने भूखण्ड खरीदकर यहां मकान बना लिए। यहां पर अब तक करीब 60 मकानों में लोग निवास कर रहे हैं। लेकिन मूलभूत सुविधाओं का विस्तार यहां बहुत धीमी गति से हो रहा हैं। आधी कॉलोनी जहां डामरीकृत सड़कें बन चुकी है वही आधी कॉलोनी में अब तक कच्ची सड़क ही है। इतना ही नहीं जहां पर कच्ची सड़क है, वहां पर रोड लाइट तक नहीं है।
असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
सांझ ढलते ही कॉलोनी के आस-पास कस्बे के असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। लोगों का कहना है कि आस-पास झाडिय़ां होने और रोडलाईट नहीं होने के कारण असामाजिक तत्व सांझ ढलते ही अंधेरे का फायदा उठाकर यहां आ धमकते हैं और घंटों शराब का सेवन करते हैं। इसके बावजूद बिजयनगर पुलिस की ओर से ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इससे असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद हैं। इन असामाजिक तत्वों की बदौलत क्षेत्र की महिलाएं अंधेरा होने के बाद कस्बे में आने-जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। लोगों का कहना है कि यदि नगर पालिका प्रशासन और कुछ करे ना करे बबूल की झाडिय़ों को साफ करा दे तो समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है।
सबसे बड़ी समस्या पेयजल
2001 में बसी इस कॉलोनी में अब तक जलापूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कॉलोनी में पाईप लाईन नहीं बिछी होने के कारण लोगों के घरों में जलदाय विभाग का पानी नही पहुंचता। यहां रहने वाले लोग अपने स्तर पर टैंकर खरीदकर काम चला रहे हैं। पेयजल का एकमात्र सहारा जलदाय विभाग के कार्यालय के बाहर लगा सार्वजनिक नल है, जहां से कॉलोनी के बाशिन्दे पानी भरकर लाते हैं, लेकिन भीषण गर्मी में पानी की मांग अधिक होने के कारण लोगों को अपनी बारी का घंटों इंतजार करना पड़ता है।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि पाइप लाईन से जलापूर्ति के लिए वे अब तक कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर समस्या से अवगत करा चुके हैं लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि अब उन्हें अंतिम आस मसूदा विधायक सुशील कंवर पलाड़ा से ही बची है। विधायक ने क्षेत्रवासियों की समस्या को समझकर जलदाय विभाग और नगर पालिका को इस सम्बंध में कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
रोड लाइट नहीं
क्षेत्र में रोड लाइट नहीं होने के कारण शहर में आने-जाने वाले मार्ग पर रात्रि समय में असामाजिक तत्व शराब का सेवन करते हुए उत्पात मचाते हैं। इस समस्या से परेशान होकर दो बार तो मजबूरी में पुलिस को बुलाना पड़ गया। इस कॉलोनी की मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने का जिम्मा नगर पालिका प्रशासन का है, लेकिल पिछले 18 वर्षों से यहां ऐसा कुछ हुआ नहीं है, जिससे यहां रहने वाले आराम से रह सके। पेयजल समस्या इस क्षेत्र की प्रमुख समस्या है।
अनिल शर्मा, गांधीनगर कॉलोनी
प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान नहीं
यहां की प्रमुख समस्या पेयजल समस्या ही है। मैं इस कॉलोनी के बनने के एक साल बाद से यहीं रह रहा हूं। क्षेत्र में साफ-सफाई, सार्वजनिक रोशनी, पेयजल की समस्या शुरू से ही चली आ रही हैं। इस ओर प्रशासनिक अधिकारियों को कोई ध्यान नहीं है। इस कॉलोनी में हम कैसे रहते हैं यह तो हम ही जानते हैं।
सत्यनारायण मोर्य, गांधी कॉलोनी
सुअरों का आतंक
इस कॉलोनी में सुअरों का आतंक भी है। हमारे घरों के बिलकुल नजदीक बीसलपुर परियोजना के तहत अण्डर स्टोरेज टैंक है लेकिन फिर भी हम लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। रात्रि समय में रोजाना शराबी कॉलोनी के खाली स्थानों झाडिय़ों में आ धमकते हैं और शराब सेवन कर माहौल अशांत कर देते हैं।
नाथूलाल जादव, गांधीनगर कॉलोनी
पानी-सड़क नहीं
कॉलोनी की विकट समस्या पानी है। घरों के बाहर सड़कें नहीं है। कॉलोनी में पर्याप्त सार्वजनिक रोशनी की व्यवस्था नहीं है। सांझ ढ़लते ही असामाजिक तत्व कॉलोनी क्षेत्र में घूमते दिखाई देते हैं। जबकि कॉलोनी नगर पालिका द्वारा विस्तारित की गई है, लेकिन विकास कार्य किसी भी प्रकार के नहीं हुए। क्षेत्रवासी कई दिक्कतों का सामना करते हुए यहा जीवन-यापन कर रहे हैं।
विनय पोखरना, गांधी नगर कॉलोनी