
बिजयनगर। (खारीतट सन्देश) कस्बे के राजनगर क्षेत्र में स्थित एकमात्र राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय इन दिनों एकमात्र चिकित्सक के भरोसे चल रहा है। हालात यह है कि यहां नियुक्त वैद्यजी को अस्पताल के दरवाजे खुद को खोलने व बंद करने पड़ते हैं। यही नहीं वे मरीजों को उपचार परामर्श देने के साथ औषधि वितरण का कार्य भी स्वयं ही करते हैं। इसके बावजूद बी श्रेणी के इस औषधालय की सुध लेना आयुर्वेद महकमा उचित नहीं समझ रहा।
स्थानीय राजकीय औषधालय में वर्तमान में डॉ. एन.के. शर्मा सेवारत हैं और इस औषधालय में प्रतिदिन 50 मरीजों का आउटडोर रहता है।
इसके बावजूद औषधालय में न तो नर्सिंगकर्मी है और न ही परिचारक। यहां पूर्व में नियुक्त नर्सिंगकर्मी का दो वर्ष पूर्व तबादला हो चुका है तब से लेकर अब तक विभाग ने यहां नर्सिंगकर्मी की नियुक्ति नहीं की। वही पांच माह पूर्व यहां नियुक्त परिचारक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुका है। इसके बाद से यहां परिचारक भी नही है। ऐसे में औषधालय खोलने से लेकर साफ-सफाई तक का कार्य वैद्यजी के कंधों पर ही है। उक्त चिकित्सालय बी श्रेणी का है एवं नोडल केन्द्र भी है। इस केन्द्र के अधीन शिखरानी, सथाना, हनुतियां, राताकोट, काणिया आदि के औषधालय आते हैं। इसके बावजूद इस औषधालय की दुर्दशा ने आयुर्वेद महकमे की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।
दवाई देने से लेकर सफाई की भी जिम्मेदारी निभा रहा हूं
मैंने विभाग को पत्र के माध्यम से कर्मचारियों के रिक्त पदों की जानकारी देते हुए शीघ्र ही रिक्त पदों को भरने की मांग की। दो वर्ष पूर्व कम्पाउण्डर का तबादला हुआ तब से नर्सिंग का पद रिक्त है। पांच माह पूर्व परिचारक ने भी स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर चला गया, तब से औषधालय को खोलने, साफ-सफाई और पानी भरने तक का कार्य मैं ही कर रहा हूं। यह चिकित्सालय नोडल होने की वजह से लिपिकीय कार्य और विभागीय सूचनाएं भेजने का कार्य भी मुझे ही करना पड़ता है। हालात यह है कि साप्ताहिक अवकाश के दिन पास के शिखरानी औषधालय से नर्सिग स्टॉफ को लगाया जा रहा है।
नरेन्द्रकुमार शर्मा, आयुर्वेद चिकित्सक, बिजयनगर