
नई दिल्ली। महज कुछ वर्षों के भीतर द्विपक्षीय कारोबार को 20 अरब डॉलर कर चुके भारत और दक्षिण कोरिया ने वर्ष 2030 तक इसे बढ़ा कर 50 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। दोनों देशों ने सिर्फ लक्ष्य नहीं रखा है, बल्कि इसे अमली जामा पहनाने की रूपरेखा भी तय कर दी है। इस लक्ष्य पर नजर रखते हुए दोनों देशों ने एक दूसरे के 11 उत्पादों के आयात को सहूलियत देने का समझौता किया है। आटोमोबाइल, समुद्री मछली, स्टील, कपड़े जैसे उत्पादों को चिह्नित किया गया है जिस पर आयात शुल्क को घटाया जाएगा ताकि इनका कारोबार बढ़ सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मून जेई-इन की वार्ता में इन मुद्दों पर अंतिम रूप दिया गया और फिर इस बारे में समझौता किया गया। दोनों देशों के बीच कुल 11 समझौते किए गए हैं।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति शरण के मुताबिक, निश्चित तौर पर आर्थिक रिश्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं। मंगलवार को हुए समझौतों से भी यह जाहिर है। जिस तरह से दोनों देश चौथे चरण की औद्योगिक क्रांति में आपसी सहयोग करने को तैयार हुए हैं वह काफी दूरगामी साबित हो सकते हैं। आने वाले दिनों में रक्षा क्षेत्र भी आपसी संबंधों को आगे बढ़ाने में अहम रहेगा। दोनों नेताओं के बीच रक्षा उत्पादन में अनुभव व तकनीक साझा करने और इस बारे में निजी कंपनियों के सहयोग को बढ़ावा देने की बात हुई है। मोदी और मून ने बाद में जब दोनों देशों के सीईओ के फोरम से मुलाकात की तब भी रक्षा उत्पादन में सहयोग अहम मुद्दे के तौर पर उभरा। दोनों देशों ने कोरिया-इंडिया फ्यूचर स्ट्रेटजी ग्रुप और रिसर्च एंड इनोवेशन सेंटर भी स्थापित किया है जो भविष्य में रिश्तों को हाईटेक बनाने में मदद करेगा।
उत्तर प्रदेश के दीपोत्सव में भाग लेगा कोरियाई दल: उत्तर प्रदेश में आयोजित होने वाले दीपोत्सव में दक्षिण कोरिया की सरकार हिस्सा लेने को तैयार हो गई है। इसके साथ ही वहां की सरकार, यूपी सरकार की तरफ से अयोध्या में लगाई जाने वाली महारानी सुरीरत्ना मेमोरियल परियोजना में सहयोग करने को भी तैयार हो गई है। दोनों देशों ने इस बारे में एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, राष्ट्रपति मून ने जानकारी दी है कि उनकी सरकार जल्द ही एक दल अयोध्या भेजेगा।
माना जाता है कि ईसा पूर्व 48 में अयोध्या की राजकुमारी की शादी कोरिया के राजा किम सुरो से हुई थी। कहा जाता है कि शादी के बाद कोरियाई राजा का भाग्य बदल गया। दक्षिण कोरिया में लाखों लोग महारानी को अपनी पूर्वज और देवी के तौर पर याद करते हैं।