
बिजयनगर। (खारीतट सन्देश) स्थानीय स्वाध्याय भवन में शनिवार को धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए परम पूज्य श्रद्धेय श्री योगेश मुनि जी म.सा. ने कहा कि संसार ऐसी रात है जहां कभी प्रभात नही होता, संयम ही प्रभात हैं। संसार समस्या है और संयम समाधान है। इसलिए ज्ञानियों ने समस्या का समाधान बताया ‘तप’ आत्मा तप रूपी अग्नि में जाकर निरवर जाती है। समस्या का समाधान पदार्थ में नही ‘परमार्थ’ में हैं। पदार्थ की रूचि घटानी है यहां समाधान खोजना नादानी के सिवा कुछ नही, इससे संसार में उलझता ही रहेगा।
‘जिनवाणी’ को ‘आयुर्वेद औषध’ की तरह बताया यह काम धीरे-धीरे करता है मगर जड़ से बीमारी को समाप्त कर देता है और किसी भी प्रकार का साईड इफेक्ट भी नही है। भगवान द्वारा फरमाये गये वचनों पर पूर्ण श्रद्धा के साथ-साथ विश्वास कर परमार्थ, नव तत्वों की जानकारी की ओर अग्रसर हो समस्या हमारे जीवन में परछाई की भांति है भागने की समस्या का समाधान नही ‘जागने’ से होगा। ऐसा पुरूषार्थ ही कल्याणकारी होगा। ‘पुरूषार्थ’ अर्थात् ‘परम्+अर्थ’ ‘आत्मा का परम आत्मा से मिलना’ सही भीतर में है और गलतियां सारी लहर से आती है भल करने के लिए कोई समय अच्छा नही और भूल सुधारने के लिये सारा समय अच्छा है। परमार्थ को समझने के लिये सबसे पहले अर्थ-भावार्थ-परमार्थ को समझना होगा।