
प्रो. सांवरलाल जाट ने क्षेत्र के विकास के लिए कई सपने देखे, बहुत पूरे किए, कुछ अधूरे रह गए। क्षेत्र की जनता को उम्मीद है प्रो. जाट के उन सपनों को पूरा किया जाए। प्रो. जाट के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
राजस्थान की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले प्रो. सांवरलाल जाट की प्रतिमा अनावरण समारोह में उनके पैतृक गांव गोपालपुरा में राजस्थान ही नहीं, देश भर से कई राजनेता व समाजसेवी पहुंच रहे हैं। निश्चित ही प्रो. जाट की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता, लेकिन यहां की जनता भी उन्हें भूली नहीं है, यह समारोह इसी बात की ओर इंगित करता है। यहां की जनता की ओर से यह आश्वासन है और ‘साहब’ के लिए अगाध प्रेम। (प्रो. जाट को यहां की जनता ‘साहब’ ही कहते थी)।
एक राजनेता के रूप में उनका कद काफी ऊंचा था। जिस तरह जयपुर से लेकर दिल्ली तक केबिनेट में उनकी अच्छी पहुंच थी, उसी तरह क्षेत्र के किसान व आम जनता तक उनकी गहरी पैठ भी थी। मंत्रिमंडल की बैठक में जिस मर्यादा और रसूख के साथ शामिल होते थे, उतनी ही गरिमा के साथ जाजम पर भी बैठते थे। यही सामंजस्य और तालमेल राजनीति में उन्हें विशेष बनाता था। राजनीति के पहले पायदान से लेकर अंतिम सांस तक वे किसान की ‘आवाज’ बनकर विधानसभा और लोकसभा में अपनी बात पुरजोर तरीके से कही। क्षेत्र के विकास के लिए जीवन पर्यंत समर्पण भाव से जनता की सेवा की। करीब तीन दशक के राजनीतिक सफर में बेदाग रहे। उतार-चढ़ाव से भी वास्ता पड़ा, लेकिन राजनीति में ‘उनकी रेड-कार्पेट’ तनिक भी मैली नहीं हुई। इसीलिए यहां की जनता को भी अपने ‘साहब’ पर गर्व है। प्रो. सांवरलाल जाट स्वच्छ राजनीति के पर्याय रहे, यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा।
प्रो. सांवरलाल जाट ने क्षेत्र के विकास के लिए कई सपने देखे, बहुत पूरे किए, कुछ अधूरे रह गए। क्षेत्र की जनता को उम्मीद है प्रो. जाट के उन सपनों को जल्द ही पूरा कर दिया जाएगा। प्रो. जाट के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रो. जाट के राजनीतिक विरासत को थामने वाले इनके पुत्रों पर यह जिम्मेदारी है।
– जय एस. चौहान –