
नई दिल्ली। लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव एक साथ कराये जाने को लेकर देश में चल रही बहस के बीच चुनाव आयोग ने आज स्पष्ट संकेत दिया कि दोनों चुनाव एक साथ करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं दिखता है क्योंकि इसे अंजाम तक पहुँचाने में कई तरह की अड़चनें हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने यहां कहा,“ एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे पर 2015 में भी चुनाव आयोग ने अपने विचार एवं सुझाव दिए थे। वीवीपैट की शत-प्रतिशत व्यवस्था करना एवं अन्य इंतजाम करना मुश्किल होगा, एक साथ दोनों चुनाव कराने के लिए अगर कुछ राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल को बढ़ाना होगा या कुछ राज्यों के कार्यकाल को घटाना होगा और संविधान में संशोधन करना होगा। इसके अलावा अतिरिक्त पुलिस एवं सुरक्षाकर्मियों की भी जरूरत होगी। ”
उन्होंने कहा कि अगर किसी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा हो तो आयोग वहां चुनाव करने की अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने को तैयार है। श्री रावत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी दोनों चुनावों को एक साथ कराने की वकालत करते हुए अपनी तैयारियां भी उस हिसाब से करने जा रही है और उसकी कार्यकारिणी में इस पर चर्चा भी होनी है। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी सरकार राज्यों की विधानसभा के कार्यकाल को बढ़ाना चाहती है और वह इन राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ करने कि फ़िराक में है। गौरतलब है कि चार राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा होने हैं। एक साथ दोनों चुनाव करने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे सरकार को धन की काफी बचत होगी और समय भी बचेगा तथा लोगों को कई तरह की सहूलियतें होंगी।