
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने केरल की बाढ़ को गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित किया है। इससे पहले केरल हाई कोर्ट को केंद्र ने सूचित किया कि राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। कांग्रेस और दूसरे दल राज्य में उत्पन्न स्थिति को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग उठ रही थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि पिछले एक सप्ताह में बाढ़, बारिश और भूस्खलन के कारण हुए नुकसान को देख यह निर्णय लिया गया। जब किसी आपदा को दुर्लभ गंभीर/गंभीर प्रकृति का घोषित किया जाता है तो राज्य सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर मदद दी जाती है। इसके अलावा केंद्र राष्ट्रीय आपदा कोष (एनडीआरएफ) से भी अतिरिक्त मदद देने पर विचार कर रहा है। राज्य में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से सात लाख 24 हजार से ज्यादा विस्थापित लोगों को 5,645 राहत शिविरों में रखा गया है।
केरल में रविवार को बारिश थमने से लोगों ने थोड़ी राहत की सांस जरूर ली है, लेकिन अभी भी उनकी कठिनाई जस की तस है। सभी जिलों में जिलाधिकारी व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं। केंद्रीय मंत्री जे अल्फोंस ने कहा कि इस मुसीबत के समय में मछुआरे सबसे बड़े हीरो बनकर उभरे हैं। अभियान के दौरान उन्होंने करीब 600 बोट मदद के लिए दी। बाढ़ के कारण किसी भी घर में बिजली नहीं है, न ही अन्य तरह की सुविधाएं हैं। अभी सबसे ज्यादा वहां पर इलेक्टि्रशियन, प्लंबर, कारपेंटर की जरूरत है।
विमान सेवा शुरू: कई दिनों के बाद राज्य में विमान सेवा बहाल हुई है। कोचीन हवाई अड्डा बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब गया था जिससे सेवा बंद करनी पड़ी थी। अब कोच्चि नौसैनिक अड्डे से विमान सेवा शुरू की गई है।
महामारी रोकने में जुटा केंद्र: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि केंद्र की ओर से केरल को पूरी मदद दी जा रही है। राज्य में करीब 3757 मेडिकल कैंप लगाए गए हैं, जिसमें 90 किस्म की दवाईयां भेजी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि महामारी को फैलने से रोकने की तैयारी की जा रही है।
रेड अलर्ट वापस लिया: बारिश से राहत के बाद सभी जिलों में जारी किया गया रेड अलर्ट वापस ले लिया गया है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भारी बारिश से राहत का दावा किया है। इसके बाद भी राज्य में जान-माल का जो नुकसान हुआ है, उससे केरल और वहां के लोगों का जीवन पटरी पर लौटने में काफी समय लग सकता है।
राहत पर ध्यान रहेगा: राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा, ‘हमारी सबसे बड़ी चिंता लोगों की जान बचाने की थी. लगता है कि इस दिशा में काम हुआ। शायद यह अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी है, जिससे भारी तबाही मची है। इसलिए हम सभी प्रकार की मदद स्वीकार करेंगे।’ गौरतलब है कि केरल में 29 मई को आई पहली बाढ़ के बाद से लोगों की मौत का सिलसिला जारी है। बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित अलप्पुझा, एर्नाकुलम और त्रिशूर में बचाव कार्य जारी है। अधिकारियों ने इन तीन जिलों में जारी किए गए रेड अलर्ट को वापस ले लिया है।
भोजन पानी के बिना तीन दिनों से फंसे हैं लोग: सर्वाधिक प्रभावित स्थानों जहां लोग पिछले तीन दिनों से भोजन या पानी के बिना फंसे हुए हैं, उनमें चेंगन्नूर, पांडलम, तिरुवल्ला और पथानामथिट्टा जिले के कई इलाके, एर्नाकुलम में अलुवा, अंगमाली और पारावुर में शामिल हैं। केरल सरकार ने बाढ़ से कुल 19,500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया है।
केरल की मदद को आगे आएं देशवासी : संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देशवासियों से अप्रत्याशित बाढ़ की विभीषिका का सामना कर रहे केरल की मदद करने की अपील की है। सरकार्यवाह सुरेश भैय्या जोशी ने कहा है कि यद्यपि केंद्र सरकार और राज्य सरकार सहित कई सामाजिक संगठन युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन संकट अतिविकट होने के चलते सभी को इसके लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि केरल भयानक संकट के कगार पर खड़ा है। इसे राष्ट्रीय आपदा बताते हुए कहा कि इसमें जहां अभी तक सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं वहीं लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। सेना, राष्ट्रीय आपदा बल, केंद्र और राज्य सरकारों सहित सामाजिक संगठनों के प्रयासों की सराहना करते हुए जोशी ने कहा कि संकट विकट है और साधन सीमित हैं। ऐसे में संघ धार्मिक, सामाजिक सहित सभी देशवासियों से अपील करता है कि वे केरल के लोगों के साथ खड़े हों और पीडि़तों की बढ़-चढ़कर हरसंभव सहायता करें।