
बिजयनगर नगर पालिका में कुछ भी असंभव नहीं है। नियम-कायदे को ताक पर रखकर रसूखदार ने पांच मंजिला भवन खड़ा कर दिया लेकिन नगर पालिका प्रशासन को ‘कानोंकान’ खबर नहीं लगी। शहर में जब इसकी चर्चा आम होने लगी तो आनन-फानन में कुंभकर्णी निद्रा से जागे नगर पालिका प्रशासन को ‘नियम’ स्मरण हो आया। पक्ष व प्रतिपक्ष के जनप्रतिनिधियों की ‘खामोशी’ भी कम चौंकाने वाली नहीं… (जी को ग्राउंड फ्लोर पढ़ें)
बिजयनगर। कस्बे के मुख्य बाजार सहित गली-मोहल्लों में भी यदि कोई व्यक्ति चौथी मंजिल पर भवन निर्माण करता है तो नगर पालिका प्रशासन सम्बंधित व्यक्ति को नोटिस देकर तुरन्त प्रभाव से कार्य रुकवा देता है। इसके उलट जिस ब्यावर रोड पर नगर पालिका का दफ्तर है और जिस रोड से होकर पालिका के कर्मचारी व अधिकारी रात-दिन गुजरते हैं उसी रोड पर एक ‘रसूखदार’ का नियम विरुद्ध निर्माण कार्य बेरोकटोक जारी है। मजेदार बात यह है कि इस ‘रसूखदार’ को नियम विरुद्ध निर्माण कार्य पर पूर्व में नगर पालिका प्रशासन नोटिस देकर निर्माण कार्य पर रोक की हिदायत भी दे चुका है। इसके बावजूद मौके पर तलघर सहित पांच मंजिला इमारत खड़ी हो गई। कुम्भकर्णी नींद से जागा पालिका प्रशासन ने भवन के मालिक को नोटिस जारी कर दिया है। मामले में वर्तमान बोर्ड के एक पार्षद को छोड़कर पक्ष-विपक्ष के सभी पार्षदों की चुप्पी भी हैरान कर देनी वाली है।
जानकारों का मानना है कि शहर में करीब दर्जन भर मकानों का निर्माण नियम-कायदे को ताक पर रख कर किया गया है। जानकारी के अनुसार राजकीय चिकित्सालय के सामने ओसवाल मेडिकल व विजय मेडिकल नामक केमिस्ट की दुकानों के पीछे स्थित एक विशाल भूखण्ड पर पिछले छह-सात महिनों से भवन निर्माण कार्य जारी है। इस भूखण्ड पर निर्माण कार्य, इसकी निर्माण स्वीकृति और नगर पालिका में प्रस्तुत इस भूखण्ड के दस्तावेज शुरू से ही विवादों के घेरे में है।
इसके बावजूद भवन मालिक नियम-कानूनों को धत्ता बताते हुए बेतरतीब तरीके से मंजिल दर मंजिल बनवाता जा रहा है। भवन मालिक ने निर्माण स्वीकृति लेते समय पालिका की हिदायत के बावजूद शेडबैक नहीं छोड़ा। इतना ही नहीं पालिका में प्रस्तुत नक्शे के उलट तलघर सहित तलघर के ऊपर पांच मंजिला इमारत खड़ी कर दी। पूर्व में पालिका प्रशासन के नोटिस पर जहां दिन में काम रूका रहा, वहीं रात को बिजली की रोशनी में भवन मालिक ने रातभर निर्माण कार्य जारी रखा। इसकी बदौलत आज दिन तक पांच मंजिला भवन का ढ़ांचा मौके पर तैयार खड़ा है। इसके चलते आस-पास के मकानों व आर्य समाज मंदिर भवन को भी खतरा हो गया है। पालिका प्रशासन की इस भवन मालिक पर कृपा दृष्टि कस्बे में चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं पक्ष व विपक्ष के पार्षद मामलें में चुप्पी साधे बैठे हैं। आगे देखना यह होगा कि पालिका प्रशासन मामले में क्या रवैया अख्तयार करता है।
ऐसे ली गृहकर में छूट
उ क्त भूखण्ड के मालिक चोरडिय़ा परिवार को 12 अप्रेल 1976 को नगर पालिका के कर निर्धारक की ओर से गृहकर की वसूली के लिए नोटिस जारी किया गया। इसके जवाब में चोरडिय़ा परिवार के गुलाबचन्द चोरडिय़ा ने नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखकर यह उल्लेख किया कि सुन्दरबाई पत्नी बिरदीचन्द चोरडिय़ा के नाम से राजकीय अस्पताल के सामने धर्मशाला का निर्माण किया गया है, जिसका उपयोग आम रोगियों के संरक्षकों के रहने के लिए होता है। अत: सार्वजनिक उपयोग की स्थिति में यह निजी सम्पति नहीं है। अत: इसका गृहकर माफ कर दिया जाए। इस पर तत्कालीन अधिशासी अधिकारी ने उक्त भूखण्ड का गृह कर माफ कर दिया था।
यह है नियम
बिजयनगर नगरपालिका क्षेत्र की परिधि में किसी भी भवन चाहे वह आवासीय हो या व्यावसायिक, जमीनी सतह के ऊपर दो मंजिल से ऊपर भवन निर्माण कराना गैरकानूनी है। इसके बावजूद बलवीर चोरडिय़ा ने अस्पताल के सामने पांच मंजिला इमारत खड़ी कर पालिका प्रशासन को धता बता दिया है।
कस्बे में जी+2 से अधिक की आवासीय एवं व्यावसायिक इमारतों का निर्माण कार्य अवैध है चूंकि इस भवन मालिक ने नियम से अधिक माले की इमारत बनाई है। इसलिए भवन मालिक को नोटिस जारी कर भवन निर्माण स्वीकृति से संबंधित दस्तावेज मांगे गए हैं। दस्तावेजों की जांच कर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
ललितसिंह, ई.ओ., बिजयनगर नगरपालिका