
मुख्य तथ्यों को प्रोसेडिंग से हटाने के पीछे मंशा क्या है? सदन में हुई बहस के प्रमुख बिंदुओं को प्रोसेडिंग से हटाने के मायने क्या हैं? चूक कहां हुई इसका उत्तर दें धर्मराज! नीयत में खोट नहीं तो पार्षदों के यक्ष-प्रश्नों का उत्तर दें धर्मराज! उत्तर दें धर्मराज! युधिष्ठिर बनें, कुंभकर्ण नहीं…।
यदि आप सोच रहे हैं कि बिजयनगर नगर पालिका में सबकुछ ठीकठाक चल रहा है तो आप गफलत में हैं। हमने इसी कॉलम में कई बार जिक्र किया है कि बिजयनगर नगर पालिका में कुछ भी असंभव नहीं और यहां सब कुछ संभव है। नगर पालिका बिजयनगर में बहुत कुछ अ-लोकतांत्रिक तरीके से हो रहा है। यहां तक कि लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए जनप्रतिनिधियों (पार्षद) के विरोध के शब्द भी बदल दिए जा रहे हैं। 12 जुलाई को नगर पालिका बिजयनगर की साधारण सभा की बैठक हुई।
इस बैठक में पक्ष और प्रतिपक्ष के पार्षदों ने अपने-अपने क्षेत्रों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया। लेकिन प्रोसेडिंग से उन सभी तथ्यों को दूध में मक्खी की तरह हटा दिया गया। गोया यह कि किसी पार्षद ने सदन में इन तथ्यों पर कभी जिक्र ही नहीं किया हो। जिन मुद्दों को पार्षदों ने उठाया उनका जिक्र आखिर प्रोसेडिंग में क्यों नहीं किया गया। यह यक्ष-प्रश्न है। सत्ता पक्ष के अलंबरदार फिलहाल जिस कुर्सी पर बैठे हैं वह जगह धर्मराज (युधिष्ठिर) की है। युधिष्ठिर ने भी यक्ष प्रश्न का उत्तर दिया था।
लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई शहर की सरकार को भी पार्षदों के इस यक्ष प्रश्न का उत्तर देना चाहिए कि आखिर प्रोसेङ्क्षडग से उन तथ्यों को क्यों हटा दिया गया जिनका उन्होंने साधारण सभा में पुरजोर तरीके से उल्लेख किया था। उन तथ्यों को प्रोसेडिंग से हटाने के पीछे मंशा क्या है? सदन में हुई बहस के प्रमुख बिंदुओं को प्रोसेडिंग से हटाने के मायने क्या हैं? चूक कहां हुई इसका उत्तर दें धर्मराज! नीयत में खोट नहीं तो पार्षदों के यक्ष-प्रश्नों का उत्तर दें धर्मराज! उत्तर दें धर्मराज! … उत्तर दें…। उत्तर दें धर्मराज! उत्तर दें…। युधिष्ठिर बनें, कुंभकर्ण नहीं…।
– जय एस. चौहान –