
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों को सुदृढ़ कर ढांचे की रीढ़ करार देते हुए आज कहा कि आईआरएस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ईमानदार करदाताओं को कोई असुविधा न हो। श्री कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में उनसे मिलने आये आईआरएस के 68वें बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कर चिरकाल से ही शासन की आधारशिला रहे हैं। प्राचीन काल में शासकों एवं साम्राज्यों का मूल्यांकन इस आधार पर ही किया जाता था कि उनकी कर प्रणाली किस प्रकार की है।
राष्ट्रपति ने आईआरएस अधिकारियों को सुदृढ़ कर ढांचे की रीढ़ करार देते हुए कहा कि किसी भी देश की कर प्रणाली न्यायपूर्ण, कुशल, शुचिता पर आधारित और सम्यक होनी चाहिये। उन्होंने कहा, “एक प्रशासक के रूप में यह आईआरएस अधिकारियों का प्राथमिक उत्तरदायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि देश के पास राष्ट्रीय विकास के विविध आयामों को पूरा करने के लिए पर्याप्त कर संसाधन हों, चाहे वह ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे का विकास हो या फिर विद्यालयों एवं चिकित्सालयों की स्थापना, या फिर देश की रक्षा एवं सुरक्षा इत्यादि।”
श्री कोविंद ने इन अधिकारियों से कहा कि वे अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन इस प्रकार से करें कि ईमानदार करदाता कम से कम असुविधा के साथ कर संबंधी कानूनों का पालन कर सकें। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष एक जुलाई से सरकार ने देश में अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)- लागू किया। यह भारतीय राजस्व सेवा (सीमाशुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद कर) का ही उत्तरदायित्व था कि इस व्यापक कर सुधार को संपूर्ण राष्ट्र में लागू किया जाये और करदाताओं को नयी कर प्रणाली के बारे में शिक्षित किया जाये। उन्होंने जीएसटी के सफलतापूर्वक लागू किये जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इससे एक प्रगतिशील कर प्रणाली का आरंभ हुआ है, जो अर्थव्यवस्था एवं ईमानदार करदाताओं के लिए लाभप्रद होगी।