
नई दिल्ली। भारतीय पवर्तारोही सत्यरूप सिद्धांत और मौसमी खातुआ ने एशिया के सबसे ऊंचे और ईरान स्थित ज्वालामुखी पर्वत माउंट दामावंद पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया है। सत्यरूप यह उपलब्धि हासिल करने वाले चौथे भारतीय बन गए हैं। गौरतलब है कि बचपन में सत्यरूप अस्थमा से पीड़ित थे, जो इनहेलर से एक पफ लिए बिना 100 मीटर भागने में भी हांफ जाते थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने जुनून और बुलंद हौसले के दम पर सात चोटियों की चढ़ाई को सफलतापूर्वक पूरा किया।
वह सात सबसे ऊंची पर्वत चोटियों और सात ज्वालामुखी पर्वतों को फतह करने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के व्यक्ति होंगे। बंगाल में नदिया जिले के कल्याण की रहने वाली 36 साल की मौसमी खाटुआ ने भी सत्यरूप के साथ एशिया के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी शिखर पर चढ़ने का रिकॉर्ड बनाया।पर्वतारोही अभियान दल में तीन सदस्य सत्यरूप, मौसमी और भास्वती चटर्जी शामिल थे। यह तिकड़ी 6 सितंबर की सुबह ईरान के लिए रवाना हुई थी। 10 सितंबर की सुबह इस टीम ने 6 बजे सुबह ईरान में माउंट दामावंद की चढ़ाई शुरू की। भारतीय मानक समय के अनुसार 1.45 मिनट पर सिद्धांत और मौसमी ने चढ़ाई पूरी की जबकि उनके तीसरे साथी ने 4600 मीटर चढ़ाई के बाद के बाद कैंप में ही ठहरने का फैसला किया।