
आबूरोड़। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सुख शांति एवं आध्यात्मिक बनने के लिए मन की परिधि को बढ़ाने की जरुरत बताते हुए कहा है कि जिसका मन जितना बड़ा होगा वह उतना ही आध्यात्मिक होगा। श्री सिंह सिरोही जिले के आबूरोड में ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में वैश्विक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में आज यह बात कही। उन्होंने कहा कि जीवन में बड़ा काम करने के लिए बड़ा मन होना जरूरी है। जितना बड़ा मन होगा उतना ही जीवन में आनंद की मात्रा बढ़ती चली जाएगी। गिरिजाघर में जाकर प्रार्थना करने से व्यक्ति आध्यात्मिक नहीं होता है। जितना वह बड़ा करता चला जाता है उतना जीवन में आध्यात्मिक ऊंचाइयों को छूता जाता है।
उन्होंने कहा कि मंदिर में पूजा अर्चना, मस्जिद में इबादत करने के साथ मन बड़ा करने की जरूरत है। जिसका मन जितना बड़ा होगा वह उतना ही आध्यात्मिक होगा। ब्रह्माकुमारीज संस्थान में बड़ा मन करने की शिक्षा दी जाती है। संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी और दादी रतनमोहिनी का कितना बड़ा दिल होगा जो इतने बड़े परिवार को संभाल कर रखा है। साथ ही इतनी बहनों को साथ लेकर विश्व के 146 देशों में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने छोटी-छोटी बातों पर चिंता जाहिर की है जबकि स्वच्छता हो, जैविक खेती, सौर ऊर्जा, महिला सशक्तिकरण इन सभी विषयों पर यह संस्था कार्य कर रही है और जो काम सरकार नहीं कर सकती वो ब्रह्माकुमारी संस्था कर रही है। संस्था केवल मानव ही नहीं मानवीयता, जीव-जंतुओं की भी चिंता कर रही है।
श्री सिंह ने विज्ञान और अध्यात्म को एक दूसरे का पूरक बताते हुए कहा कि भारत के ऋषि-मुनियों ने ही शून्य का आविष्कार किया और अध्यात्म की खोज की। विज्ञान, अध्यात्म और धर्म भारत की अवधारणा है। उन्होंने कहा कि चरक, आरोहक, सुषुप्त, आर्यभट्ट जितने बड़े ऋषि थे उतने ही बड़े वैज्ञानिक भी थे। इस अवसर पर उच्चत्तम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि विश्वव्यापी संगठन ब्रह्माकुमारीज द्वारा की जा रही हैं सेवाएं मानव को सही दिशा में ले जा रही हैं। संसार को जिस शांति की जरूरत है, उस वातावरण का निर्माण यहां हो रहा है। कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो ये शब्द यहां मंत्र की तरह कार्य करते हैं। पवित्रता आत्मा की मूल संपदा है। यहां से मन, बुद्धि और कर्मों को शांति के पथ पर ले जाने के लिए आध्यात्मिकता की शिक्षा दी जा रही है।