
बिजयनगर । दीपावली का त्यौहार भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह त्यौहार लगातार पांच दिन तक मनाया जाता है। धनवन्तरि त्रयोदशी से आरम्भ होकर भाईदूज तक इस त्यौहार की धूम रहती है। धनवन्तरि त्रयोदशी के बाद रत्न चतुर्दशी आती है। इसे नरक चतुर्दशी एवं रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध इस दिन किया था, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। समुद्र मंथन के समय 14 (चौवदस) रत्न भी इसी दिन निकले, इसलिए इसे रत्न चतुर्दशी भी कहते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय के पूर्व स्नान करने से लोगों का रूप निखरता है। इसलिए इसे रूप चतुर्दशी भी कहते हैं।
इसके बाद मुख्य दीपावली पर्व आता है। इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास समाप्त करके पुन: अयोध्या में लौटे थे। उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासी घर में घी के दीपक की कतारें लगाते हैं। बाजार में घी के दीपकों की लम्बी कतारें सजातें हैं। इसलिए इस पर्व को दीपावली का त्यौहार कहते हैं। एक पखवाड़े पहले से मकानों की सफाई की जाती है। रंग-रोगन करवाया जाता है जिससे वर्षा से उत्पन्न मच्छर आदि समाप्त जाते हैं। मकानों में सजावट की जाती है। नए वस्त्रधारण किए जाते हैं। मिठाईयां बनाई जाती है। यह प्रेम और स्नेह मिलन का त्यौहार है। इस दिन उपहार भी भेंट किए जाते हैं।
अत: यह त्यौहार स्वास्थ्यवर्धक, स्नेह व प्रेम बढ़ाने वाला तथा खुशियां बांटने वाला पर्व है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी समुद्र से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन सभी व्यक्ति लक्ष्मीजी की पूजा धूमधाम से करते हैं। हमारे लिए दीपावली त्यौहार का बड़ा महत्व है। इस त्यौहार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। प्रत्येक देश अपनी संस्कृति के अनुसार इस त्यौहार को मनाते हैं। जैन, बौद्ध एवं सनातनी वैष्णव धर्म वाले सभी इसको मनाते हैं। जैन धर्मावलम्बी इसे महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं। आर्य समाज के लोग इसे दयानन्द स्वामी की पुण्य तिथि के रूप में मनाते हैं। इसके बाद गोवद्र्धन पूजा एवं अन्नकूट का त्यौहार आता है।
दीपावली संवत 2075 मुहूर्त
1. बही संवारना दवात कलम संवारना गादी स्थापना
मुहूर्त:- कार्तिक कृष्णा पक्ष 30 अमावस्या 2075
दिनांक 7-11-18 को
समय – 09:30
प्रात: 06:54 से 09:30
लाभ अमृत वेला
प्रात: 11 बजे से 12 बजे तक
शुभ वेला
इसमें लाभ शुभ गणेश मांडने का भी मुहूर्त है। दिन को 12 से 01:30 तक राहू काल निषेध है।
2. फैक्ट्री, मिल आदि जो औद्यौगिक संस्थाओं में श्री लक्ष्मी पूजन का विधान दिन को भी है।
समय 03:00 से 05:00 एवं 04:27 मध्य। चंचल बला में। शाम 04:27 से 05:48 तक लाभ बेला।
3. दुकानों एवं घरों में श्री लक्ष्मी पूजन मुहूर्त समय
शाम सूर्यास्त समय 05:48 से 06:12 दैनिक विगणना मान्यता अनुसार सांय गोधूली बेला एवं प्रदोष का समय मानक है। इसी के बीच में स्थिर वृषभ लग्न भी समाहित है।
स्थिर सिंह लग्न बेला :- रात्रि 12:46 से 03:02 स्थिर सिंह लग्न बेला। इसमें कनक धारा स्त्रोत का पठन पाठ विशेष श्री कारक सिद्ध होता है। इसके अलावा स्थिर वृश्चिक लग्न में सुबह 07:38 से 09:15 तक है। स्थिर कुम्भ लग्न में 01:46 से 03:13 मध्यान्ह में श्री पूजन की मान्या भी सामान्य पक्ष अनुसार व्यवहारजनक है।
4. श्री रोकड़ मिलान एवं पूजा विसर्जन मुहुर्त
कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा 2075 दिनांक 08/11/2018 को समय:- प्रात: 06:55 से 08:17 शुभबेला।
प्रात: 11 से 12:21 चंचल वेला
दिन का 12:00 से 01:30 अभिजीत बेला
दोपहर 12:21 से 01:30 लाभ बेला
शाम 05:27 से 05:48 शुभ बेला।
पं. रामगोपाल शर्मा, गुलाबपुरा