डाला छठ महोत्सव: कांच के ही बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…

  • Devendra
  • 15/11/2018
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गुलाबपुरा। सूर्योपासना के महापर्व डाला छठ पर मंगलवार को संध्या बेला में खारी नदी में बने कृत्रिम घाटों से बिहार व उत्तर प्रदेश के निवासियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अघ्र्य अर्पित किया। गुलाबपुरा व बिजयनगर में निवासरत सैकड़ों पूर्वांचल परिवारों ने पूरे श्रद्धाभाव से भगवान सूर्य को अघ्र्य अर्पित किया। खारी नदी के किनारे बने घाटों को दीप व मोमबत्ती से आकर्षक रूप से सजाया गया था। चार दिवसीय छठ महापर्व के तहत सोमवार को खरना पूजन के बाद मंगलवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित किया गया। मंगलवार अपराह्न बाद से ही छठव्रतधारी परिवार सहित जलाशयों पर बने घाटों पर छठ मैया की गीत गाती हुई पहुंचने लगी।

घाटों को पहले से ही साफ-सुथरा किया गया था। छठव्रतधारी महिला के परिजन छठ मैया के गीत ‘कांच के ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय…’सहित अन्य लोकगीत गाती हुई घाटों तक पहुंचीं। परिवार के पुरुष सिर पर डाला में भगवान सूर्य को अर्पित किए जाने वाले फल, पूल, ठेकुआ आदि लेकर चल रहे थे। बच्चे रास्ते में जगह-जगह पटाखे चलाते हुए घाटों पर पहुंचे। भगवान सूर्यदेव को अघ्र्य अर्पित कर पुन: छठ मैया के गीत गाती हुई छठव्रतधारी अपने-अपने घरों को पहुंचीं। बुधवार सुबह उन्हीं घाटों पर उदयगामी भगवान सूर्य को जल में खड़ा होकर अघ्र्य अर्पित कर निरोगी काया तथा परिवार में सुख-शांति की कामना की। भगवान सूर्य को अघ्र्य अर्पित करने के बाद परिजनों ने छठव्रतधारी के चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लिया। छठव्रतधारी ने घाटों पर पहुंचे सभी परिजनों को अंकुरी का प्रसाद दिया। इसके बाद ठेकुआ व फल का प्रसाद देकर आशीर्वाद दिया। बुधवार दोपहर बाद तक परिजनों व परिचितों के बीच प्रसाद बांटने का काम चला।

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