नयी दिल्ली, 19 नवंबर (वार्ता) तिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने भारत के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक ज्ञान से अधिक अर्थपूर्ण बताते हुए आज कहा कि विकसित होने के बावजूद अशांत दुनिया में शांति लाने का रास्ता भारत से ही निकल सकता है।
दलाई लामा ने यहां स्माइल फाउंडेशन के ‘द वर्ल्ड ऑफ चिल्ड्रन’ उपक्रम की शुरुआत के माैके पर अपने संबोधन में कहा, शारीरिक व मानसिक तौर पर, पिछले पचास सालों से, भारत मेरा घर है और मैं नालंदा परंपरा का एक विद्यार्थी हूं।
इस परंपरा में, तर्क—वितर्क, तार्किकता और प्रयोग पर जोर दिया जाता है, न कि निष्ठा पर।
उन्होंने कहा, भारत का प्राचीन ज्ञान आज से ज्यादा अर्थपूर्ण है।
आज दुनिया संकट से गुजर रही है, यह काफी विकसित है लेकिन अंदरूनी शांति नहीं है।
अंदरूनी शांति मन के प्रशिक्षण से आती है, अस्थाई शॉर्टकट्स से नहीं।
आध्यात्मिक गुरु ने कहा, यह आपकी जिम्मेदारी है कि इस 21वी सदी को एक बेहतर, दयालु व शांतिपूर्ण पीढ़ी बनाएं।
एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए, आपको समर्पण, विशुद्ध धर्मनिरपेक्ष शिक्षा, वैश्विक जिम्मेदारी की जरूरत है।
उन्होंने अपनी जिंदगी के अनुभव का वर्णन करते कहा कि हाल ही के सालों में शिक्षा के क्षेत्र में काफी विकास देखा है।
अमीर एवं गरीब के बीच की दूरी को कम करने के लिए व्यक्ति शिक्षा के माध्यम से ही अपनी सोच में बदलाव ला सकता है।
उन्होंने बच्चों से कहा कि खुद का निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है और आप इच्छाशक्ति, कड़ी मेहनत और समर्पण के माध्यम से आप एक महान व्यक्ति बन सकते हैं।
दलाई लामा ने स्माइल फाउंडेशन द्वारा उठाए गए इस कदम और सभी के लिए समान शिक्षा व अवसंरचना देने के मिशन एवं इस अंतर को कम करने के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि वह इस प्रयास में सहयोग करना चाहेंगे।
समाज में दलित शोषित एवं वंचित पृष्ठभूमि के लगभग 550 विद्यार्थी इस विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए।