जयपुर। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि ने सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी निवेश के विचार को गलत बताते हुए कहा है कि सरकार का काम व्यापार का नहीं हैं तथा इस पैसे का उपयोग जनहित में किया जाना चाहिए।
श्री महर्षि ने आज यहां भारतीय सीए संस्थान के दो दिवसीय नेशनल काॅन्फ्रेंन्स के शुभारम्भ पर कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी पैसा लगाना उचित कदम साबित नहीं हुआ तथा यह संस्थान घाटे से कभी नहीं उबर पाये तथा जनता के धन का दुरुपयोग हुआ। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों को खत्म कर पैसे का उपयोग जनहित के कामों में लगाया जाना चाहिए।
राजस्थान में सार्वजनिक उपक्रमों की स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां के संस्थानों का कारोबार सरकारी निवेश जितना भी नहीं हैं तथा उनकी हालत खराब हैं।
बैंकों के बढते एनपीए की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस समस्या का मूल कारण बैंकों का राष्ट्रीयकरण हैं जिसकी वजह से बैंकों की यह हालत हुई जबकि निजी क्षेत्र के बैंक अच्छा काम कर रहे हैं तथा उनमें यह समस्या बहुत कम हैं।
कॉन्फ्रेंस के प्रथम सत्र में दिल्ली से आये वक्ता डॉ गिरिष आहुजा ने टैक्सेशन आॅफ चेरिटेबल रिलिजियस ट्रस्ट एवं एज्युकेशन इंस्टीट्यूशन पर अपना उद्बोधन दिया।
सेन्ट्रल काउसिंल मैम्बर-आईसीएआई एवं चीफ कोर्डिनेटर नेशनल कान्फ्रेंस सीए प्रकाश शर्मा ने बताया कि कान्फ्रेंन्स में देश भर से लगभग 4400 चार्टर्ड एकाउन्टेन्टस ने भाग लिया।
पारीक जोरा
- Devendra
- 24/11/2017
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