जयपुर। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर और अजमेर जैसे बड़े शहरों में प्रदूषण की समस्या से बचने के लिए जल्दी ही सीएनजी बसें चलाई जाएंगी।
राजस्थान के परिवहन एवं सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने आज पत्रकार वार्ता में यह बात कही। उन्होंने कहा दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण जनजीवन पर आए संकट को देखते हुए राजस्थान में भी वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सीएनजी बसें चलाने की जरूरत है। इसके लिए पहले प्रदेश के बड़े शहरों में ये बसें चलाई जाएंगी। इससे डीजल की बचत भी होगी और प्रदूषण से भी बचाव होगा।
परिवहन मंत्री ने अपने विभाग की चार साल की उपलब्धियां गिनाते हुए मीडिया को बताया कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से राजस्थान बाइक टैक्सी नीति 2017 तैयार की गई है जिससे दस हजार लोगों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधा के लिए तीन साल में 1219 नये मार्ग खोले गये हैं जिन पर 937 परिमट जारी किए गये।
सड़क सुरक्षा नीति के बारे में उन्होंने बताया कि शहर में सिन्धी कैम्प पर आने वाली बसों के कारण यातायात जाम रहने की समस्या को दूर करने के लिए हीरापुरा अजमेर रोड पर आधुनिक बस टर्मिनल बनाया जाएगा। पहले इसे पीपीपी मोड पर बनाने का प्रयास किया गया लेकिन कोई नहीं आया। अब इसे नब्बे साल की लीज पर निर्माण कराया जाएगा क्योंकि इससे कम समय की लीज पर कोई निवेशक आगे नहीं आ रहा है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि रोडवेज राजस्थान का गौरव है और इसे किसी भी हाल में बन्द होने नहीं दिया जाएगा। इसका घाटा पूर्ति करने की जिम्मेदारी सरकार की है।
सार्वजनिक निर्माण विभाग की उपलब्धियों के बारे में उन्होंने बताया कि देश में राजस्थान ऐसा पहला प्रदेश है जहां प्रतिदिन पन्द्रह किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। गत चार सालों में प्रदेश में सड़कों के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण पर साढ़े अठारह हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इससे दूसरे प्रदेशों से आने वाले लोग राजस्थान की सड़कों की तारीफ करने लगे हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक नौ नए राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर अलवर, झुंझुनूं, हनुमानगढ़, जालौर, बाड़मेर व सवाई माधोपुर जिलों को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ा जा चुका है। वर्तमान में तेईस हजार पांच सौ सड़कों का काम प्रगति पर है और इन पर अस्सी हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सड़कों का इतना काम इससे पहले कभी नहीं हुआ।
प्रदेश में सात आरओबी और चार आरयूबी का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है जबकि तीस नये स्वीकृत किए गए हैं, इनका काम भी प्रगति पर है।