मामला सार्वजनिक होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने कनिष्ठ अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया ।
जयपुर। राजस्थान सरकार की ओर से छात्राओं को बांटी जा रही साइकिलों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। छात्राओं को भगवा रंग की साइकिल वितरित किए जाने को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है, अब इनकी गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में आ गई है। वसुंधरा राजे सरकार ने 106 करोड़ की लागत से तीन लाख साइकिलें खरीदी हैं। ये साइकिलें लुधियाना और सोनीपत की कंपनियों से खरीदी गई हैं।
जानकारी के अनुसार जो साइकिलें बांटी गई उनका वजन 250 से 300 ग्राम तक कम मिला है। मानक के अनुसार साइकिल का वजन हवा भरे जाने के बाद 20 किलो 300 ग्राम और बगैर हवा के 20 किलो होना चाहिए था। लेकिन सप्लाई की गई अधिकांश साइकिलों का वजन कम मिला। इसके साथ ही अन्य राज्यों में वितरित साइकिलों पर कंपनी तीन साल की वारंटी दे रही है, लेकिन राजस्थान में यह मात्र एक वर्ष है। सीट की गुणवत्ता भी खराब बताई जा रही है।
प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि परीक्षण के बाद ही साइकिलें बांटी जाएं, लेकिन अफसरों ने आनन-फानन में इन्हें बांट दिया। शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के बाद से ही इन साइकिलों का वितरण होना था, लेकिन सप्लाई में देरी की वजह से पिछले महीने तक यह साइकिलें बांटी गईं।
अब इन साइकिलों में कमी सामने आने के बाद अफसर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं छात्राएं प्रतिदिन इन साइकिलों की मरम्मत कराने के कारण परेशान है। मामला सार्वजनिक होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने कनिष्ठ अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया है। कुछ स्कूलों के प्रधानाध्यापकों पर भी कार्रवाई की गई है।
कुछ शिकायतें मिली है, जिम्मेदार लोगों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, भविष्य में कंपनियों से करार को लेकर और अधिक सावधानी बरती जाएगी।
-वासुदेव देवनानी, शिक्षा मंत्री, राजस्थान सरकार