राजकोट। सात-आठ महीने पहले की ही बात है, उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी के लिए ‘यूपी के लड़के’ का नारा खूब चला था। जाहिर तौर पर यह उस नरेंद्र मोदी के प्रभाव को बाहरी बताकर कम करने के लिए था जो खुद उत्तर प्रदेश से ही चुनकर प्रधानमंत्री बने हैं। अब कांग्रेस और राहुल को यह बताना होगा कि गुजरात में उसी मर्ज का इलाज उनके पास है क्या? यह सवाल इसलिए लाजिमी हो गया है क्योंकि प्रदेश में नेतृत्व विहीन कांग्रेस का चेहरा राहुल ही हैं और दूसरी ओर भाजपा के साथ साथ खुद मोदी ने गुजराती अस्मिता को धार देना शुरू कर दिया है।
इतना ही नहीं यह संदेश देने में भी चूक नहीं हो रही कि कांग्रेस ने अक्सर गुजरात और गुजरातियों की हकमारी ही की है। वहीं, पहली बार कोई ऐसा प्रधानमंत्री बना है जो गुजरात के चार-पांच सौ लोगों को नाम से बुला सकता है। आप उससे बातें कर सकते हो। जाहिर है कि गुजराती गौरव, स्वाभिमान और अस्मिता का तड़का चुनाव में कुछ रंग दिखाएगा।
पहले चरण के मतदान में अब एक सप्ताह का भी वक्त नहीं है। रविवार को प्रधानमंत्री ने सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के तीन स्थानों पर रैली की। विकास के मुद्दे पर तो उन्होंने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया ही। लगे हाथों यह भी याद दिलाया कि गुजरात के ही दो लाल- सरदार पटेल और मोरारजी भाई के साथ भी छल किया। एक सभा में उन्होंने आरोप लगाया, ‘जब प्रधानमंत्री के सवाल पर कांग्रेस में सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू के लिए मतदान हुआ तो सरदार को ज्यादा वोट मिले थे। लेकिन, वोटिंग में छल कर नेहरू को प्रधानमंत्री बना दिया गया।
ऐसा ही छल मोरारजी भाई के साथ भी हुआ।’ दरअसल, परिवारवाद को बचाए रखने के लिए वोटिंग में छल कांग्रेस की प्रकृति है। अब राहुल गांधी को बचाए रखने के लिए भी एक छल हो रहा है। यह आरोप खुद कांग्रेस के ही पदाधिकारी शहजाद पूनावाला लगा रहे हैं। एक सप्ताह पहले ही एक जनसभा में मोदी ने परोक्ष रूप से राहुल को चेतावनी दी थी- गुजरात में आकर गुजरात के बेटे को गाली देने की हिम्मत कैसे कर रहे हो? लगे हाथों यह भी याद दिलाया था कि गांधी-नेहरू परिवार शुरू से ही गुजरात से नफरत करता है। खुद मोदी के मुख्यमंत्रित्वकाल में यह खुलकर सामने आया था।
ध्यान रहे कि पिछले दिनों हिंदू और हिंदुत्व को लेकर भी प्रदेश में विवाद खड़ा हुआ था। कांग्रेस इस बार चुनावी समुंदर नरम हिंदुत्व का चोला पहनकर पार करना चाहती है। भाजपा के लिए हिंदुत्व का झंडा तो पुराना है ही, उस पर गुजराती अस्मिता का गाढ़ा मुलम्मा भी चढ़ा दिया गया है। इसमें भी कोई शक नहीं कि आने वाले दिनों में भी बार-बार इसकी याद दिलाई जाएगी। राजकोट से रविवार को अपनी आखिरी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने स्थानीयता का भी छौंक लगा दिया। उन्होंने कहा, ‘आपकी तो पांचों अंगुलियां घी में हैं. राजकोट से मुख्यमंत्री विजय रूपाणी हैं और इसी राजकोट से प्रधानमंत्री भी गया है।’ मालूम हो कि मोदी बतौर मुख्यमंत्री पहला चुनाव राजकोट से ही लड़े थे।