संसद हमले की 16वीं बरसी आज, शहीदों के बलिदान को किया याद

  • Devendra
  • 13/12/2017
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नई दिल्ली। संसद पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। राजनाथ सिंह ने ट्वीर कर शहीद जवानों को याद किया और उनके साहस को नमन किया, जिन्होंने 13 दिसंबर, 2001 को भारत के लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी संसद हमले में शहीद हुए जवानों को याद किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 13 दिसंबर, 2001 को हमारे बहादुर सैनिकों ने संसद भवन पर हुए आतंकी हमले को नाकामयाब कर अनुकरणीय साहस दिखाया। हम सुरक्षाबलों की वीरता और राष्ट्रीय सेवा को सलाम करते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

बता दें कि संसद पर हुए आतंकी हमले को 16 साल हो चुके हैं, लेकिन उसका जख्म आजतक देश भुला नहीं सका है। आतंकियों ने भारत के लोकतंत्र के मंदिर को चोट पहुंचाने की कोशिश की, हमारे वीर जवानों ने उनके नापाक इरादों को अपना जीवन कुर्बान करके ध्वस्त कर दिया। 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 जवान शहीद हुए थे। 16 साल पहले आज ही के दिन संसद पर आतंकी हमला हुआ था।

सेना की वर्दी पहनकर आए थे आतंकी
सफेद एंबेसडर कार में आए सभी पांच आतंकी सेना की वर्दी में संसद भवन में दाखिल हुए थे। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के इन आतंकियों ने संसद भवन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। शुुरुआत में तो समझना मुश्किल रहा कि क्या वाकई संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ है। इस हमले को नाकाम करने में सुरक्षाबलों, दिल्ली पुलिस और हमारे जवानों को 30-45 मिनट लगे। इन 30-45 मिनटों में जो निशानी संसद पर हुआ आतंकी हमला देश को दे गया, वो आज भी मौजूद है। जवानों ने अपनी जान पर खेलकर सभी पांचों आतंकियों को मार गिराया था।

हमले में शामिल चार आतंकी गिरफ्तार
संसद हमले में शामिल चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली की पोटा अदालत ने 16 दिसंबर, 2002 को चारों आतंकी मोहम्मद अफजल, शौकत हसैन, अफसान और सैयद रहमान गिलानी को दोषी करार दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सैयद अब्दुल रहमान गिलानी और नवजोत संधू को बरी कर दिया था, लेकिन मोहम्मद अफजल की मौत की सजा को बरकरार रखी था और शौकत हुसैन की मौत की सजा को घटाकर 10 साल कर दिया था। इसके बाद 9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फांसी पर लटका दिया गया था।

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