
अलविदा अलविदा माह ए रमजान अलविदा
बिजयनगर। (खारीतट सन्देश) मुस्लिम समुदाय का पवित्र माह रमजान में शुक्रवार की नमाज का विशेष महत्व है। हर साल रमजान के हर शुक्रवार को नमाजियों की खासी भीड़ रहती है। 28वां रोजा व रमजान का आखिरी जुम्मा 22 मई को है। इसे जुमा-तुल-विदा कहा जाता है, जो ईद के ठीक पहले वाले शुक्रवार को मनाया जाता है।
जामा मस्जिद के इमाम इरफान रजा नईमी ने बताया कि कोरोना माहमारी के चलते लोग पांच वक्त की नमाज घर पर ही पढ़ रहे हैं। रमजान की तरावीह इबादत घर पर ही कर रहे हैं। रमजान का आखिरी जुमा पूरे साल के सभी जुमों से सबसे खूबसूरत और शुभ होता है। मस्जिद में इस जुम्मे के दिन सबसे अधिक भीड़ होती है, इस दिन के बाद से ही सब ईद की तैयारी के लिए जुट जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार राष्ट्रीय आपदा को देखते हुए साफ स्वच्छ सादे कपड़ों में ईद मनाने और गरीब भाइयों पड़ोसियों और रिश्तेदारों की मदद करने की अपील की गई है। ज्यादा से ज्यादा सदका खैरात और जकात देने पर जोर दिया। इस रमजान को मानवता की सेवा का सुअवसर बताया। जुम्मे की नमाज के साथ ही देश में कोरोना से मुक्ति की दुआ की जाएगी।
जामा मस्जिद सदर अब्दुल हकीम चौधरी ने समुदाय के लोगों से अपील की है कि पिछले 3 जुम्मे की नमाज की तरह घर पर ही नमाज पढ़े। बाजार में अनावश्यक भीड़ ना करें। सामाजिक दूरी बनाए रखें। जरूरी काम होने पर घर से मास्क लगाकर निकले। देश और दुनिया से कोरोना निजात के लिए रोज दुआ करें। इस बार ईद को सादगी के साथ मनाएंगे। सरकार की एडवाइजरी का पूरा पालन करें। लोक डाउन के चलते इस बार एक भी जुम्मे की नमाज जामा मस्जिद में नहीं हुई है और ईद की नमाज ईदगाह में नहीं होगी लोग अपने घरों पर ही नमाज पढ़ेंगे।