
रक्तदाताओं के उत्साह, जुनून और उनके जज्बे को सलाम। स्थानीय राजनीति से इतर इस तरह के शिविर के कई मायने हैं।
– जय एस. चौहान –
दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद प्रो. सांवरलाल जाट की जयंती पर उनके गांव गोपालपुरा में आयोजित रक्तदान शिविर कई संदेशों का संवाहक है। यह संदेश दूर तलक जानी चाहिए। रक्तदाताओं के उत्साह, जुनून और उनके जज्बे को सलाम।
स्थानीय राजनीति से इतर इस तरह के शिविर के कई मायने हैं, जिसका अनुसरण किया जाना चाहिए। इस तरह के शिविर कई मायनों में अनुकरणीय भी है। यह कलमकार कई जगह साक्षी रहा है जहां काफी कवायद के बाद भी महज सौ-डेढ़ सौ यूनिट रक्त ही एकत्र हो पाते हैं। इतना ही नहीं कहीं-कहीं तो महज आधा दर्जन यूनिट से भी कम रक्तदान हुए।
ऐसे में गोपालपुरा में डेढ़ हजार यूनिट से अधिक रक्त संग्रह करना वाकई काबिले तारीफ है। यह स्व. जाट का इस क्षेत्र के प्रति समर्पण और क्षेत्र की जनता का प्रो. जाट के प्रति सम्मान का सूचक भी है। बिना किसी व्यापक प्रचार-प्रसार के डेढ़ हजार यूनिट रक्त संग्रह किसी मिसाल से कम नहीं। यह स्व. जाट की व्यक्तित्व की आभा ही है जो क्षेत्र की जनता को अलौकिक कर रहा है।
साथ ही स्व. जाट की जयंती पर इतनी बड़ी संख्या में रक्तदान के प्रति उत्साह उनके प्रति सम्मान का द्योत्तक भी है। कोई अतिश्योक्ति नहीं कि क्षेत्र की जनता ने एक स्थानीय नेता, एक केंद्रीय मंत्री और एक शिक्षाविद् को उनकी जयंती पर सुमिरण करते हुए गुरुदक्षिणा के रूप में रक्तदान किया। यह कर्म क्षेत्र की जनता की कृतज्ञनता को दर्शाता है।
यह प्रो. सांवरलाल जाट व पूर्व मंत्री के सरल व्यक्तित्व पर न्यौछावर जनता की मुहर भी है। दोनों ही मायनों में, राजनेता व शिक्षाविद् के रूप में प्रो. जाट व कृतज्ञनता के रूप में यहां की जनता की मिसाल वंदनीय है। इस अनुकरणीय कृत्य को पुष्प माना जाए तो इसकी महक दूर तलक जानी चाहिए।
साथ ही उन नेताओं के जज्बे को भी सलाम जिन्होंने प्रो. जाट की जयंती पर गोपालपुरा में आने का समय निकाला। माना जा सकता है कि इस क्षेत्र में लोकसभा का उपचुनाव भी है लेकिन इससे इतर यह स्वच्छ छवि के राजनेता, सरल व्यक्तित्व व एक शिक्षाविद् के प्रति समर्पण ही है जो डेढ़ हजार यूनिट से अधिक रक्त एकत्र किए गए।
ऐसे में रक्तदाताओं को खारीतट संदेश की ओर से एक सलाम तो बनता ही है। प्रो. जाट को नमन। जयहिंद