
बिजयनगर। प्राचीन भाषा संस्कृत ज्ञान का पर्याय है। यह बात आर्य समाज के मंत्री जगदीश प्रसाद सेन ने गत दिवस समाज के मंदिर प्रांगण में आयोजित साप्ताहिक यज्ञ सत्संग कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को संस्कृत भाषा का ज्ञान हो जाता है तो संस्कार का समावेश उसमें स्वत: ही हो जाता हैं।
उन्होंने कहा कि संस्कार यदि लम्बे समय तक बने रहते हैं तो वहीं संस्कार आगे चलकर संस्कृति बन जाते हैं। अत: हर व्यक्ति को चाहिए कि ज्ञान के लिए वह संस्कृत भाषा और सुसंस्कारित जीवन के लिए संस्कार पर विशेष बल दे। उन्होंनेे कहा कि वर्तमान युग में विभिन्न भाषाओं का चलन बढ़ जाने से संस्कारों में कमी भी आ रही है और बदलाव भी आ रहा है।
यह स्थिति समाज के लिए ज्ञातक सिद्ध हो रही है। कार्यक्रम के पूर्व आर्य समाज मंदिर में देवयज्ञ आयोजित किया गया जिसमें मौजूद श्रद्धालुओं ने यज्ञ में आहूति देकर धर्म लाभ कमाया। इस मौके पर आर्य समाज के प्रधान कृष्णगोपाल शर्मा, यज्ञसेन चौहान, पुरुषोत्तमसिंह राठौड़ सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।