
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह राजधानी में प्रगति मैदान क्षेत्र में नव निर्मित समन्वित भूमिगत मार्ग के दोनों तरफ की दीवारों पर चित्रकारी देखकर अभिभूत हुए हैं। उन्होंने इसे दुनिया की संभवत: सबसे बड़ी आर्ट गैलरी बताते हुए सुझाव दिया कि इसे रविवार को चार से छह घंटे केवल दर्शकों के लिए खुला रखने के लिए सोचा जाना चाहिए ताकि लोग भारत की विविधता की सुंदर झांकी का आनंद अनुभव ले सके। श्री मोदी ने 920 करोड़ से अधिक रुपये की लागत से विकसित सुरंग मार्ग के नेटवर्क का फीता काटकर औपचारिक उद्घाटन करने के बाद आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। श्री मोदी ने कहा, ‘मुझे सुरंग मार्ग देखने के लिए खुली जीप की सुविधा दी गई थी लेकिन मैं उसके अंदर चित्रकला को देखने के लिए उससे उतर गया और बहुत बारीकि से वहां बनाई गई चित्रकला को देखने लगा इसलिए मुझे यहां सभा में पहुंचने में दस पंद्रह मिनट की देरी हो गई।’
श्री मोदी ने सुरंग मार्ग में कलात्मक दृश्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा, ‘मैं ठीक-ठीक नहीं कह सकता पर संभवत: यह दुनिया की सबसे लंबी आर्ट गैलरी है। मैं अधिकारियों को सुझाव देना चाहूंगा कि उन्हें इसे हर रविवार को जब यातायात कम रहता है। वहां इस भूमिगत मार्ग की गैलरी को दर्शकों के लिए सुरक्षित करें और वाहनों का यातायात बंद रखा जाए।’ श्री मोदी ने कहा कि इस सुरंग में बनाए गए चित्र ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का नमूना है। इसमें विदेशी लोग भी पूर्वोत्तर में नागालैंड से लेकर दक्षिण में केरल तक, पूरे भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधताओं की झांकी देख सकते हैं। श्री मोदी ने कहा, ‘सचमुच यह बहुत सुंदर और प्रभावी प्रयोग है। मैं विदेश मंत्रालय को कहूंगा कि वह दिल्ली में विदेशी राजनयिकों को इसका भ्रमण कराने के बारे में सोचें। मैं संसद के सदस्यों को भी इसके लिए कहूंगा।’
उन्होंने कहा कि इसे स्कूली बच्चों को भी दिखाने की व्यवस्था हो और इसमें लोगों के लिए सूचना देने की स्व निर्देशित डिजिटल प्रणाली की सुविधा भी की जा सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अहमदाबाद में एक भीड़भाड़ वाली सड़क को हर रविवार वाहनों की आवाजाही के लिए बंद रखने का सिलसिला शुरू किया था ताकि बच्चे सड़क पर खेलकूद का मुक्त आनंद उठा सकें, क्रिकेट व अन्य खेल खेल सकें। ताकि बच्चों को भी लगे कि शहर में उनकी भी कोई औकात है। मोदी ने कहा कि ‘देश की राजधानी में विश्वस्तरीय कार्यक्रमों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं हो, प्रदर्शनी कक्ष हो इसके लिए भारत सरकार निरंतर काम कर रही है।’
उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर की समस्याओं के समाधान के लिए बीते आठ सालों में हमने अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। इस दौरान दिल्ली-एनसीआरमें मेट्रो सेवा का दायरा 193 किमी बढ़कर 400 किमी तक हो गया है। मोदी ने कहा कि दशकों पहले भारत की प्रगति को भारतीयों के सामर्थ्य, भारत में बने सामान और भारत की संस्कृति की झांकी प्रस्तुत करने के लिए इस प्रगति मैदान का निर्माण हुआ था। उसके बाद भारत में बहुत बदलाव हो चुके हैं, भारत का सामर्थ्य बदल गया, जरूरतें कई गुना बढ़ गई, लेकिन प्रगति मैदान की ज्यादा प्रगति नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘आज दिल्ली को केंद्र सरकार की तरफ से आधुनिक अवसंरचना सुविधा का एक बहुत सुंदर उपहार प्राप्त हुआ है।’ श्री मोदी ने कहा कि दिल्ली, मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट प्रणाली और आवागमन की जिन अन्य सुविधाओं का विकास हो रहा है, उससे दिल्ली पर दबाव कम होगा और आने-जाने में समय कम लगने और आसानी होने का लाभ पेशेवर लोगाें से लेकर छोटे दुकानदार, समाज के हर वर्ग के लिए फायदा होगा।
उन्होंने सरकार की नई पहलों का विरोध करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे लोग आम लोग की सोच से कटे हुए हैं, जबकि सामान्य लोग बदलावों को अपना रहे हैं, स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री गतिशक्ति वृहद राष्ट्रीय योजना से परियाजनाओं की कल्पना डिजाइन और क्रियान्वयन में सुविधाओं का उल्लेख किया और कहा कि यह वृहद योजना ‘सबको साथ लेकर सबको विश्वास में लेकर सबके प्रयास का ही एक माध्यम है।’ उन्होंने अभी इसी सप्ताह धर्मशाला में राज्यों के प्रमुख सचिवों के साथ अपने बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि अधिकारियों ने प्रधानमंत्री गतिशक्ति की अवधारणा को जिस ढंग से समझा है और जिस ढंग से अपना रहे हैं इससे वह बहुत प्रभावित है। उन्होंने कहा कि बैठक में अधिकारियों ने बताया कि योजनाएं तय करने में जो काम छह महीने में होता था, वह छह दिन में पूरा हो जा रहा है। श्री मोदी ने कहा, ‘कोई प्रोजेक्ट लटके नहीं, सारे विभाग तालमेल से काम करें, हर विभाग को पूरी जानकारी हो, यही सोच लेकर गतिशक्ति का निर्माण हुआ है।’ कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री पीयुष गोयल, श्री हरदीप सिंह पुरी, सुश्री अनुप्रिया पटेल सहित कई गणमान्य व्यक्ति, वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।