
नई दिल्ली। सेना की ताकत में इजाफे के लिए हथियारों की खरीद को गति दे रही सरकार ने मंगलवार को बड़ी संख्या में असाल्ट रायफल और कारबाइन खरीदने का फैसला किया। रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इसके लिए 3500 करोड़ रुपये से अधिक की सैन्य खरीदी को मंजूरी दी। सीमा पर पाकिस्तानी आतंक और घुसपैठ का मुकाबला कर रही सेना की तात्कालिक जरूरतों के मद्देनजर 72 हजार से अधिक असाल्ट रायफल और 93 हजार से ज्यादा कारबाइन इस राशि से शीघ्र खरीदे जाएंगे।
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में मंगलवार को डीएसी की हुई अहम बैठक में मेक-2 प्रक्रिया को भी आसान बनाने का निर्णय हुआ, ताकि देशी कंपनियां हमारी रक्षा जरूरतों और उपकरणों पर शोध, विकास और उसका निर्माण कर सकें। प्रक्रिया को आसान बनाये जाने से भारतीय कंपनियां रक्षा क्षेत्र के उपकरणों और हथियारों के निर्माण के लिए आगे आएंगी। डीएसी की बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि मोर्चे पर तैनात सेना की जरूरतों के लिए कुल 3547 करोड़ रुपये की रकम को मंजूरी दी गई। इस रकम से 72400 असाल्ट रायफल और 93895 कारबाइन सेना के लिए खरीदे जाएंगे।
उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने हथियारों की कमी से जूझ रही सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक दो तरह की खरीद की रणनीति अपनायी है। दीर्घावधि आवश्यकताओं के लिए मेक इन इंडिया नीति के तहत सरकार विदेशी रक्षा उत्पादन कंपनियों और भारतीय कंपनियों की संयुक्त भागीदारी के जरिये देश में ही हथियारों का निर्माण सुनिश्चित कराने की कोशिश कर रही है। वहीं मोर्चे पर सैन्य बलों की आपात जरूरतों के लिए वैश्विक टेंडर के जरिये सीधी खरीद को गति दी गई है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, मेक-2 में डीएसी ने मंगलवार को जिन बदलावों पर मुहर लगायी वे इस लिहाज से काफी अहम हैं कि इसमें सरकार की कोई फंडिंग नहीं है। बदलाव में इस पहलू का ध्यान रखा गया है कि मेक इन इंडिया के तहत निजी कंपनियों पर सरकारी बंदिशें ज्यादा न हों। इसकी वजह से रक्षा मंत्रालय को रक्षा उद्योग क्षेत्र ही नहीं स्टार्ट अप कंपनियों से सीधे रक्षा निर्माण प्रस्ताव स्वीकार करने का अवसर मिलेगा। डीएसी ने स्वदेशी कंपनियों को रक्षा क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से टेंडर में शामिल होने की पात्रता शर्तों में भी ढील दी है।
मेक-दो की पहले की शर्तों के अनुसार, केवल दो कंपनियों को ही प्रोटोटाइप हथियार विकसित करने के लिए चुना गया था। मगर अब पात्रता में आने वाली सभी कंपनियों को यह मौका मिलेगा और इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सौंपने की बाध्यता नहीं होगी। डीएसी की मुहर के बाद मेक-2 परियोजना की सभी मंजूरी सर्विस हेडक्वार्टर के स्तर पर ही मिल जाएगी। खास बात यह है कि एक बार रक्षा परियोजना को मंजूरी मिल जाएगी तो आपूर्तिकर्ता कंपनी के डिफाल्ट होने की स्थिति को छोड़ किसी भी हालत में सौदा रद नहीं किया जाएगा। सरकार ने बीते कुछ समय में रद किये गए रक्षा सौदों की वजह से कंपनियों के मन में इसको लेकर बनी आशंका को खत्म करने के लिए इस आश्वासन को सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा बनाया है।