
बिजयनगर। संयम से ही सद्गति प्राप्त होती है, संसार में मोह-माया, राग, द्वेष, भोग, विलासिता इत्यादि कषायों से मिलने वाले तात्कालिक सुख से कर्म बंधन होता है, जिससे जीवन का कल्याण संभव नहीं है। अर्थात संयम से ही आत्मा का कल्याण संभव है। यह बात गत दिवस स्थानीय कृषि उपज मंडी प्रांगण में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ एवं श्री नानक जैन श्रावक समिति के तत्वावधान में आयोजित दीक्षाभिषेक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ नायक ओजस्वी वक्ता प्रियदर्शन मुनि जी म.सा. ने सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन के मर्म को समझना होगा, इसके लिए जरूरी है परमात्मा से जुड़ाव व संतों का मार्गदर्शन और उसे जीवन में अंगीकार करने की ललक तब कहीं जाकर जीवन का कल्याण हो सकता है। इस मौके पर साध्वी प्रमुखा महासती कमलप्रभा जी ने कहा कि संयम जीवन का आधार है, यदि आत्मा का कल्याण करना है तो संयम ही श्रेष्ठ मार्ग है।
इससे पूर्व सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं की मौजूदगी में हैदराबाद निवासी मुमुक्षु संस्कृति सालेचा ने संत साध्वियों की मौजूदगी में सांसारिक जीवन का त्याग कर जैन आर्हती प्रवज्जा अंगीकार कर साध्वी साधना श्री बनी। श्री वद्र्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष प्रेमराज बोहरा ने बताया कि दीक्षा महोत्सव के लाभार्थी ज्ञानचन्द सिंघवी परिवार ने अपने निवास स्थान सथाना बाजार से वीर थाल एवं महाभिनिष्क्रमण यात्रा निकाली जो कृषि उपज मंडी परिसर पहुंचकर सम्पन्न हुई जहां हैदराबाद निवासी ज्ञानचंद-संतोष सालेचा बोहरा की सुपुत्री मुमुक्षु संस्कृति सालेचा ने सांसारिक जीवन का त्याग करने के लिए केश लोचन कर साध्वी वेशभूषा धारण कर पूज्य प्रवर्तक दीन दयाल, धन्य-धन्य गुरू पन्नालाल के जयकारों के बीच पांडाल में संघ नायक प्रियदर्शन मुनि व साध्वी प्रमुखा डॉ. कमलप्रभा के समक्ष उपस्थित होकर दीक्षा पाठ प्रदान करने की विनती की।
तत्पश्चात प्रियदर्शन मुनि ने संयम जीवन के लिए संस्कृति को करेमी भन्ते के प्रत्याख्यान करवाते हुए साध्वी मंडल में सम्मिलित किया। इस पर समूचा पांडाल जयघोष से गूंज उठा। दीक्षा के बाद संस्कृति का नाम परिवर्तित कर संघ नायक प्रियदर्शन मुनि जी म.सा. ने साध्वी साधना श्री नाम की घोषणा की। महोत्सव में श्री नानक श्रावक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पदमचंद खाब्या, श्री प्राज्ञ जैन युवा मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल पालड़ेचा, प्रकाशचन्द बड़ौला, कैलाशचंद संचेती, सम्पतराज चपलोत, सुरेशचंद खींवसरा, दिलीप मेहता, गुमानसिंह कर्नावट सहित बिजयनगर, गुलाबपुरा, अजमेर, जयपुर, सरेरी, कंवलियास, ब्यावर, हैदराबाद, पीसांगन, नसीराबाद, बांदनवाड़ा सहित अनेक स्थानों से श्रावक-श्राविकाओं ने दीक्षा की अनुमोदना की।