
भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर शाखा अजमेर के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय शिविर में सैकड़ों दिव्यांगजनों व उनके परिजनों के चेहरे खिल गए। शिविर में दिव्यांगजनों को चिन्हित कर उन्हें आवश्यकतानुसार नि:शुल्क उपकरण वितरित किए गए। जरूरत के मुताबिक दिव्यांगजनों को कृत्रिम हाथ-पैर, कान की मशीन, कैलीपर, ट्राइसाइकिल, व्हीलचेयर सहित अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गए…
बिजयनगर। ‘राम भलो करे भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति को जो म्हारी आठ साल की बच्ची के पग लगा दियो, चालबा के ती छड़ी दे दी और स्कूल आबा-जाबा के ती व्हीलचेयर भी दे दी। आ छोरी पैदा हुई जी टेम इके एक पग कोनी हो और एक हाथ आदो ही आयेडो हो। डॉक्टरा ने दिखाया तो बोल्या अब खई न हो सके, आ तो है ज्यान ही रेई। इको नित्यक्रम अब थाने ही करणो पेडी।‘ यह बात कहते-कहते समीपवर्ती लामगरा ग्राम पंचायत की निम्बेड़ा गांव की ग्यारसी देवी रुंआसा सी हो गई। यह बात जब आशीष सांड ने सुनी तो उन्होंने तुरंत भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर शाखा अजमेर के संयुक्त सचिव सुरेश मेहरा से निवेदन करते हुए बच्ची की हरसंभव मदद करने का निवेदन किया। इस पर मेहरा ने समिति के कार्यकर्ताओं से बच्ची को गोद लेने का प्रस्ताव तैयार कर जयपुर भिजवाने की बात कही। जैसे ही बच्ची को गोद लेने की बात मां ग्यारसी देवी और काका गोरधन ने सुनी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
दिव्यांग शांति बैरवा (8) की मां ग्यारसी देवी ने बताया कि परिवार में कुल छह सदस्य हैं जिसमें सास, पति, एक बच्चा, दो बच्ची है। तीन बच्चों में शांति दूसरे नम्बर की संतान है। उन्होंने बताया कि बच्ची को पढऩे का शौक भी है। पति कैलाशचन्द वे भी एक पैर से दिव्यांग है। ग्यारसी देवी ने बताया कि पैतृक सम्पति के तौर पर एक बीघा जमीन मिली जिसे स्वयं और पति दु:ख-सुख पाकर खेतीबाड़ी कर घर खर्च चलाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने और दोनों पति-पत्नी के शिक्षित नहीं होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
दिव्यांगजन की सेवा के लिए आगे आएं- चौधरी
तीन दिवसीय शिविर के दूसरे दिन शिविर अवलोकन और दिव्यांगजनों के उत्साहवद्र्धन के लिए पहुंचे सांसद भागीरथ चौधरी ने शिविर आयोजक समिति, स्वयंसेवी संस्था, भामाशाह सांड परिवार का आभार जताते हुए कहा कि इस प्रकार का शिविर लगाकर ये पुण्य कमा रहे हैं। दिव्यांगों में श्रीहरि बसते हैं, हमें इन श्रीहरि की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने सुरेश मेहरा को धन्यवाद देते हुए शिविर के आयोजन की निरंतरता की बात कही। इस दौरान एक बुजुर्ग दिव्यांग सांसद के पास मकान बनवाने की फरियाद लेकर आया तो चौधरी ने फोन पर अधिकारियों से पीएम आवास योजना के तहत बुजुर्ग की शीघ्र मदद का निर्देश दिया।
बच्ची को गोद में लेकर छोडऩा पड़ता है स्कूल
ग्यारसी देवी ने बताया कि बच्ची को गोद में लेकर स्कूल छोडऩा और लाना पड़ता है। वो अपना नित्यकर्म भी खुद नहीं कर सकती, इसलिए स्कूल में मास्टरजी को बोला हुआ है कि बच्ची को कोई समस्या हो तो इसका बड़ा भाई इसी स्कूल में पढ़ता है उसे बुलवा लीजिए ताकि वो इसे देख लेगा या मुझे बुलाने आ जाएगा। उन्होंने बताया कि व्हीलचेयर आज मिली है, अगर पहले मिल जाती तो भाई इसमें शांति को बैठाकर रोज स्कूल ले जाता। खैर, भगवान अब तो म्हाका ऊपर झांक्यों।
965 उपकरण वितरित
आशीष सांड ने बताया कि तीन दिवसीय शिविर में मसूदा विधानसभा क्षेत्र के चयनित दिव्यांगजनों में 965 सहायक उपकरणों का वितरण किया गया। जिसमें 35 कृत्रिम हाथ, 58 कृत्रिम पैर, 310 कान की मशीन, 85 केलीपर मय शूज, 95 हाथ की छड़ी, 98 बैशाखी, 130 व्हील चेयर, 96 ट्राइसाइकिल, 35 नीकेप, 23 जयपुर फुट शामिल है।
आशीष के प्रयास को सभी ने सराहा
तीन दिवसीय इस शिविर में सैकड़ों दिव्यांगजनों को मिले सहायक उपकरणों को पाकर दिव्यांगजनों के चेहरे पर तो खुशी साफ दिखी, लेकिन आशीष सांड के इस प्रयास की पूरे विधानसभा क्षेत्र में प्रशंसा भी हुई। वहीं भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति अजमेर के संयुक्त सचिव सुरेश मेहरा ने बताया कि मेरे 20 वर्ष के कार्यकाल में कई शिविर लगवाए लेकिन बिजयनगर कैम्प की अलग ही बात थी। यहां जितने भी दिव्यांग आए वो ऐसे थे जो अब तक हुए शिविरों में पहुंच नहीं पाए थे, इस मायने से यह कैम्प उनके लिए बेहद फायदेमंद रहा। हमारा मिशन है कि कोई भी दिव्यांग सहायक उपकरणों के अभाव में न रहे।
समिति आई सामे पांव
ग्यारसी ने बताया कि मुझे मेहरा साहब ने बच्ची को गोद लेने की बात कही है ताकि उसके बाद बच्ची से सम्बंधित जो भी खर्च और जिम्मेदारियां होगी वो हमारे माध्यम से पूरा करेगी। उन्होंने बच्ची के 18 साल की होने तक परिवार को प्रत्येक महिने राशन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए पर्ची भी दी। आशीष सांड साहब ने भी हमें कहा कि आपके आसपास में बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन के आसपास मेरी तरफ से चाय की थड़ी खुलवाकर भाई कैलाश को रोजगार से जोडूंगा। इसे सक्षम करने के लिए केलीपर वाला जूता दे दिया है। अब ये आराम से बिना झुके काम कर सकेगा और पूरे परिवार का ध्यान रख सकेगा।