एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य की अवधारणा केवल सक्रिय वैश्विक सहयोग से ही होगी साकार: मांडविया

  • Devendra
  • 15/03/2023
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नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य की अवधारणा केवल सक्रिय वैश्विक सहयोग से ही साकार हो सकती है और भारत ऐसे अभिनव अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का नेतृत्व कर सकता है जो सार्वभौमिक स्वीकार्यता के साथ व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य हैं। श्री मांडविया ने बुधवार को यहां ‘एक स्वास्थ्य: उत्तम स्वास्थ्य के लिए एकीकृत, सहयोगात्मक और बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण’ पर भारतीय उद्योग परिसंघ – सीआईआई साझेदारी शिखर सम्मेलन 2023 को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के लिए यह एक समग्र और एकीकृत पर्यावरण एवं प्रकृति के अनुकूल नीति-निर्माण वातावरण के साथ ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण को साकार करने में नेतृत्व करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि इसे वैश्विक स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन के साथ समायोजित करने का समय है। उन्होंने कहा कि भारत के पास नवीन अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का नेतृत्व करने के लिए एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति है जो सार्वभौमिक स्वीकार्यता के साथ व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य भी हैं।

उन्होंने कहा कि एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य की अवधारणा को केवल सक्रिय वैश्विक सहयोग के साथ ही वास्तविकता का अमली जामा पहनाया जा सकता है, जहां देश केवल अपने बारे में नहीं बल्कि सामूहिक वैश्विक परिणामों के बारे में सोचते हैं। डॉ. मांडविया ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र को एक देश तक सीमित नहीं किया जा सकता क्योंकि एक देश का स्वास्थ्य और भलाई दूसरे देश को प्रभावित करती है। हम परस्‍पर निर्भर दुनिया में रहते हैं, जिसमें न केवल देश बल्कि मानव आबादी का स्वास्थ्य भी आसपास के पर्यावरण और पशुओं के स्वास्थ्य से समान रूप से प्रभावित होता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी ने यह दिखा दिया है कि कोई भी देश किसी भी देश के प्रतिकूल विकास से सुरक्षित नहीं है और हमारे कार्य हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करते हैं। एक मानव जाति के रूप में हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम न केवल अपनी रक्षा करें बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि हमारे कार्यों का परिणाम उस पर्यावरण की रक्षा में हो। श्री मांडविया ने कहा कि एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य का दृष्टिकोण हमारे कार्यों और पर्यावरण के अनुकूल नीतियों के महत्व पर ध्यान केंद्रित करता है। स्वदेशी अनुसंधान और पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश के पास ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ सुनिश्चित करने का अपना मॉडल हो सकता है।

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