
सिंगावल। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की प्रेरणा से प्रभावित होकर गांव के गुर्जर समाज द्वारा आम सहमति से सामाजिक कुप्रथा मृत्यु भोज को बन्द करने का निर्णय लिया। स्थानीय श्री देवनारायण मंदिर प्रांगण में सामाजिक कुप्रथा मृत्यु भोज को लेकर स्थानीय गुर्जर समाज की बैठक आहूत हुई जिसमें युवा शक्ति के जोश और उत्साह के आगे समाज के बड़े बुजुर्ग गणमान्य नागरिकों ने आम सहमति से मृत्यु भोज बंद करने का निर्णय लिया गया। जहां उपस्थित जनसमूह ने खुशी जाहिर करते हुए आभार जताया, साथ ही बैठक में निर्णय लिया कि गुर्जर समाज में किसी की मृत्यु होने पर 12 दिन की बैठक यथावत रहेगी लेकिन इस दरमियान फिजूल खर्च नहीं किया जाएगा, मादक पदार्थ निषेध रहेगा। पिंडदान या अन्य क्रिया क्रम जैसे पुष्कर या हरिद्वार में अस्थि विसर्जन कार्य करने की कोई बंदिश नहीं होगी।
लेकिन इसकी आड़ में किसी भी तरह का मृत्युभोज नहीं किया जाएगा। इसके अलावा समाज का कोई भी नागरिक स्वयं के गांव में किसी भी जाति वर्ग और किसी भी अन्य गांव व शहर में आयोजित मृत्युभोज में शामिल नहीं होगा। अपने रिश्तेदारी, मित्रमंडल के गांवों में 12वें से पहले बैठने जा सकते हैं लेकिन 12वें व 13वें जैसे मृत्युभोज में नहीं जाएगा। बैठक में समाज के मौजूद जनसमूह ने 100 रूपए के नोन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर (शपथ पत्र) पर हस्ताक्षर कर मृत्युभोज नहीं करने की शपथ ली। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि युवा शक्ति जन्मदिन मानने में भी हजारों रुपए होटलों में मादक पदार्थो व खाने में फूंक देते हैं जिससे एक सामाजिक कुप्रथा को बढ़ावा मिलता है इस पर भी रोक रहेगी।
इस दौरान सिंगावल को-ऑपरेटिव सोसायटी अध्यक्ष बीरमदेव पटेल, पूर्व सरपंच सहदेव गुर्जर, सरपंच रघुनाथ गुर्जर, लादूराम गुर्जर, रामदेव, सुरताराम, सुखदेव, सांवरलाल, पांचूलाल, रामकरण भोपा, नारायणलाल, रामकरण, मादूलाल बढ़ेरा, हीरालाल, गोपाललाल बजाड़, गंगाराम फामडा, घीसालाल, शिवराज, दुर्गालाल चाड़, भरतराज चौहान, नारायण टवालिया, हरी, कल्याण, बिजूलाल गुर्जर, सांवरलाल गुर्जर, शिवराज, हंसराज, जसराज, गोविंदराम, घेवर, सुरता, हरी, महिपाल, प्रहलाद, गिरधारीलाल, पुखराज आदि मौजूद रहे।