अक्सर चुनावी साल में प्रदेश की सरकारें कुछ ‘विशेष’ योजनाओं के माध्यम से जनता जनार्दन को आकर्षित करती रही है। राजस्थान की गहलोत सरकार भी इसी नक्शे-कदम पर तरह-तरह की योजनाओं को शिविरों के माध्यम से आमजन को लाभान्वित करना चाह रही है। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार भी चुनावी साल में ‘लाडली बहना योजना’ लांच कर आधी आबादी को साधने की कोशिश कर रही है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की है। खास बात यह कि राजस्थान सहित मध्यप्रदेश और छत्तीगढ़ में इसी साल के आखिरी महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का उल्लेख इसलिए किया गया है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि चुनावी साल में लोक-लुभावन योजनाएं सरकार ‘लांच’ करती रही है। राजनीतिक परिदृश्य में इस तरह की लोक-लुभावन योजनाएं नई बात नहीं है और न ही कोई अतिश्योक्ति है। विधानसभा चुनाव में इन लोक-लुभावन योजनाओं का ‘वोट’ के रूप में कितना लाभ गहलोत सरकार को मिलता है, इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। फिलहाल, सरकार व सरकारी कर्मचारियों को योजनाओं को मूर्त रूप देते हुए अधिक से अधिक पात्र हितग्राहियों को लाभान्वित करने पर ध्यान केन्द्रित करनी चाहिए। उद्देश्य बस यही हो कि अधिक से अधिक जनता जनार्दन लाभान्वित हो सके।
राजस्थान में 24 अप्रेल से 30 जून तक पूरे प्रदेश में जगह-जगह शिविर आयोजित कर कुल 10 योजनाओं से आमजन को सरकार ‘लाभान्वित’ करना चाह रही है। निश्चित ही इन योजना के माध्यम से आमजन को काफी हद तक महंगाई से राहत मिलेगी ही, अन्य कई योजनाओं से भी जनता लाभान्वित होगी। सरकार की मंशा अनुसार ही आमजन को पूर्ण लाभ हो इसके लिए स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी कहीं बढ़ जाती है। हालांकि बिजयनगर व गुलाबपुरा नगर पालिका सहित अन्य निकायों के अधिकारी व कर्मचारीगण ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। लेकिन इन तैयारियों से लेकर जनता को लाभान्वित करने तक की कड़ी को सहज और सुदृढ़ करना जरूरी है। जाहिर है, कई सरकारी योजनाएं अब ऑनलाइन संचालित हो रही हैं। वहीं ज्यादातर आम जनता ऑनलाइन कार्य करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में न केवल सरकारी अधिकारी बल्कि हमारा मानना है कि इस कार्य में स्वयंसेवी संगठनों को भी आगे आकर पात्र हितग्राहियों के ऑनलाइन फार्म भरवाने में मदद करनी चाहिए। उम्मीद है इस नेक कार्य में बिजयनगर के स्वयंसेवी संगठन के पदाधिकारी व कार्यकर्ता आगे आएंगे। ध्यान रहे, इस भीषण गर्मी में शिविरों में पहुंचने वाले हितग्राहियों के लिए छाया-पानी की मुकम्मल व्यवस्था की भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। जय हिन्द।
दिनेश ढाबरिया, सम्पादक