
नई दिल्ली (वार्ता) आगामी आठ विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले आम चुनाव को लक्षित कर मोदी सरकार ने बजट में किसानों, गरीबों, ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे उद्योगों के लिए सौगातों का पिटारा खोल दिया, लेकिन उम्मीद लगाये बैठे वेतनभोगियों और मध्यम वर्ग की झोली में कुछ नहीं आया।
संसद में आज पेश 2018-19 के आम बजट में 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के सरकार के चुनावी वादे की तरफ बड़ा कदम उठाते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आगामी खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत की तुलना में कम से कम डेढ़ गुना करने और किसानों को दिये जाने वाले ऋण का लक्ष्य 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की।
विश्व की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना का ऐलान करते हुये वित्त मंत्री ने देश की करीब 40 प्रतिशत आबादी को इसका लाभ देने का प्रस्ताव किया। इसके तहत 50 करोड़ लोगों अर्थात 10 करोड़ परिवारों का पाँच लाख रुपये प्रति वर्ष प्रति परिवार तक का स्वास्थ्य खर्च सरकार उठायेगी।
दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में देश के मौजूदा सातवें स्थान से पाँचवें पायदान पर पहुँचने की उम्मीद जाहिर करते हुये श्री जेटली ने कहा कि सरकार वित्तीय घाटे को लक्षित दायरे में रखने की भरपूर कोशिश कर रही है। कुल बजट 24,42,213 करोड़ रुपये का है। इसमें वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा गया था। चालू वित्त वर्ष के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य 3.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए नये संसाधन जुटाने के लिए कंपनियों और करदाताओं पर अतिरिक्त बोझ डाला गया है। इस मद में उपकर को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत किया गया है।
स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से शुरू की गयी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन का लक्ष्य पाँच करोड़ से बढ़ाकर आठ करोड़ करने की घोषणा की गयी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो करोड़ नये शौचालय बनाने का प्रस्ताव है।
बजट से उम्मीद लगाये बैठे वेतनभोगी और मध्यम वर्ग को निराशा हाथ लगी। व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा और कर स्लैब में कोई बदलाव किये बिना 40 हजार रुपये तक की मानक रियायत को लागू कर मामूली राहत देने का प्रयास किया गया। बुजुर्गों को तोहफा देते हुये जमा से प्राप्त 50 हजार रुपये तक की उनकी आय को कर से छूट दी गयी है जो अभी 10 हजार रुपये है।
इक्विटी बाजार में निवेशकों को भी सरकार ने झटका दिया है। एक लाख रुपये से ज्यादा दीर्घावधि पूँजीगत लाभ पर 10 प्रतिशत कर का प्रस्ताव किया गया है।
सीमा शुल्कों में वृद्धि करने से आयातित इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, वाहनों के कलपुर्जे, प्रसाधन के सामान, जूस, खाद्य तेल, वीडियो गेम, जवाहरात और बच्चों के खिलौने महँगे हो जायेंगे। वहीं सौर पैनलों और काजू पर सीमा शुल्क घटाने से इनके सस्ता होने की उम्मीद है।
छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए 250 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले उद्यमों के लिए कर की दर घटाकर 25 प्रतिशत कर दी गयी है।
आर्थिक विकास की गति को तेज करने के उद्देश्य से बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के लिए आवंटन में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की वृद्धि की गयी है और अब यह 5.97 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
रेलवे के लिए पूंजीगत बजट अावंटन पांच प्रतिशत बढ़ाकर एक लाख 48 हजार 528 करोड़ रुपये करने की घोषणा की गयी है जो अब तक का सर्वाधिक पूंजीगत आवंटन है। रेलवे की सुरक्षा एवं नेटवर्क क्षमता में विस्तार की योजना को गति देने के साथ ही 600 स्टेशनों का पुनर्विकास करने, सभी ट्रेनों एवं स्टेशनों को वाई-फाई सेवा और सीसीटीवी कैमरों से लैस करने तथा आधुनिक ट्रेन सेट लाने की योजना है।
रक्षा क्षेत्र के लिए दो लाख 95 हजार 511 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो पिछले वर्ष में दो लाख 74 हजार 114 करोड़ रुपये की तुलना में 7.8 प्रतिशत अधिक है।