
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई, फलस्तीन समेत तीन देशों की यात्रा पर आज दोपहर रवाना होंगे। प्रधानमंत्री 9 से 12 फरवरी तक फलस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान की यात्रा करेंगे। अपनी इस महत्वपूर्ण यात्रा पर रवाना होने से पूर्व उन्होंने कहा कि खाड़ी और पश्चिम एशिया क्षेत्र भारत के विदेशी संबंधों में प्राथमिकता पर हैं। इस यात्रा का उद्देश्य इस क्षेत्र के साथ संबंधों को और मजबूत बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2015 के बाद से खाड़ी और पश्चिम एशिया क्षेत्र की यह उनकी 5वीं यात्रा है। भारत के किसी प्रधानमंत्री की पहली फलस्तीन यात्रा बताते हुए मोदी ने कहा कि वह राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ बातचीत का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने फलस्तीन के लोगों और वहां के विकास के लिए भारत के समर्थन की बात दोहराई।
प्रधानमंत्री की फलस्तीन यात्रा 10 फरवरी से शुरू होगी। वह जार्डन के रास्ते फलस्तीन पहुंचेंगे। 10-11 फरवरी को प्रधानमंत्री संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर और 11-12 फरवरी को ओमान की यात्रा पर होंगे।
यूएई में करेंगे मंदिर का शिलान्यास
कूटनीतिक लिहाज से मोदी की इस यात्रा को बहुत अहमियत वाला माना जा रहा है। हाल के दिनों में जिस तरह से भारत और इजरायल के रिश्तों में गर्माहट देखी गई है, उसके मद्देनजर भारत अपने इन पारंपरिक और कूटनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण देशों के बीच कोई गलत संकेत नहीं देना चाहता। यही वजह है कि मोदी की यात्रा से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मंगलवार को सऊदी अरब जा रही हैं।
मोदी की यूएई यात्रा इस वजह से आने वाले दिनों में याद की जाएगी कि वहां बनने वाले मंदिर का शिलान्यास वह करने जा रहे हैं। मंदिर निर्माण का आग्र्रह यूएई में रहने वाले लाखों भारतीय वहां के शासकों से कर रहे थे। 2015 में जब मोदी वहां गए थे, तब इस प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था। अब सारी मंजूरियां मिल चुकी हैं।
जगह सुनिश्चित किया जा चुका है। मोदी अबु धाबी से इसका वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शिलान्यास करेंगे। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव मृदुल कुमार के मुताबिक, “मंदिर के लिए अबु धाबी और दुबई के बीच एक बड़ी जगह दी गई है। यह एक भव्य और बहुत बड़ा मंदिर होगा।” यह यूएई का दूसरा मंदिर होगा। इसके बाद मोदी ओमान जाएंगे। वहां वह सुल्तान काबूस ग्र्रैंड मस्जिद और प्राचीन शिव मंदिर जाएंगे।
मोदी की तीन देशों की यात्रा का महत्व बहुत व्यापक है। खाड़ी क्षेत्र आर्थिक और रणनीतिक वजहों से बेहद महत्वपूर्ण बन चुका है। खाड़ी के देशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या हाल के वर्षों में 60 लाख से बढ़ कर 90 लाख से ज्यादा हो चुकी है। ये लोग सालाना भारत को 35 अरब डॉलर की राशि भेजते हैं। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है। इसका देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ता है। दूसरा, भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का 60 फीसद इस क्षेत्र के देशों से प्राप्त किया जाता है। तीसरा, हाल के दिनों में यूएई की तरफ से भारत में होने वाला निवेश तेजी से बढ़ रहा है।
पिछले चार वर्षों में यूएई की तरफ से भारत में चार अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) और छह अरब डॉलर का पोर्टफोलियो निवेश हुआ है। यूएई ने भारत में 25 अरब डॉलर के नए निवेश की बात की है। ओमान की तरफ से भी लगातार निवेश बढ़ रहा है। यही वजह है कि मोदी अपनी यात्रा के दौरान इन दोनों देशों की कंपनियों के प्रमुखों से अलग से एक बैठक करेंगे।