
नई दिल्ली। जम्मू- कश्मीर के रिहायशी इलाके सुंजवां में स्थित सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अब सर्जिकल स्ट्राइक का भय सताने लगा है। शनिवार (10 फरवरी) को सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले में एक जेसीओ समेत 6 जवान शहीद हो गए थे। सेना द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकियों को मार गिराया गया है। जिसके बाद इस हमले के पीछे भारत ने पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संलिप्त होने के सबूत मिले है।
अब पाकिस्तान को ऐसी आशंका सताने लगी है कि इंडियन आर्मी ने जैसे उड़ी में सेना कैंप में हुए हमले के बाद नियंत्रण रेखा को पार कर सर्जिकल स्ट्राइक की घटना को अंजाम दिया था वैसा ही एक बार फिर से न कर दे। अपनी इसी चिंता की वजह से पाकिस्तान ने पहले से ही भारत को इस मुद्दे पर चेतावनी दे डाली है।
हालांकि सुंजवां आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह सफाई दी थी कि भारत बगैर जांच किए उस पर निराधार आरोप लगाता है। इसके साथ ही पाक ने भारत को सीमा पर किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई न करने के लिए भी चेताया है। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत जम्मू- कश्मीर में चल रहे सेना विद्रोह को नियंत्रित करने की कोशिशों में की जा ही क्रूरता की ओर से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रहा है।
पाकिस्तान ने यह भी भरोसा जताया कि कश्मीर में उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघनों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत पर दबाव बनाएगा। उसने कहा कि भारत हमेशा से हम पर आरोप लगाता है कि पाकिस्तान में आतंकियों को ट्रेनिंग देकर उन्हें नियंत्रण रेखा (एलओसी) के रास्ते जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कराई जाती है।
हालांकि जम्मू- कश्मीर राज्य के डीजीपी एसपी वैद्य ने संवादाताओं से मुखातिब होते हुए कहा कि सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकियों की बातचीत को रिकॉर्ड किया है जिससे सुंजवां घटना के पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ होने के पुख्ता सुबूत मिले हैं।
गौरतलब है कि साल 2016 में उड़ी में एक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 18 भारतीय जवान शहीद हुए थे। जिसके बाद इंडियन आर्मी ने यह कार्रवाई 24 घंटे के भीतर नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार किया और करीब 300 मीटर भीतर जाकर पीओके के रावलकोट सेक्टर में इस कार्रवाई को अंजाम दिया।