
अगेष्ढ़ासो अकनिष्ठास:। एते सं भातर: वा वृधु सौभगाय।।
बिजयनगर। अर्थात संसार के सब मानव एक समान है। वेद मंत्र की यह व्याख्यान आर्य समाज मंदिर में रविवार को आयोजित साप्ताहिक यज्ञ सत्संग कार्यक्रम में प्रवचन के दौरान समाज के मंत्री जगदीशप्रसाद सेन ने की।
सेन ने कहा कि हम एक दूसरे को सहयोग से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मनुष्य यह मानता है कि हमारे में छोटे-बड़े, अमीर-गरीब होते है लेकिन जिन्हे वेदों का ईश्वरीय ज्ञान है वे सब मानव को एक समान मानते है तथा उनमें कोई बड़ा-छोटा, काला-गोरा, देशी-विदेशी आदि के भाव नहीं होते है तथा वे सभी की आत्मा को एक समान मानते है।
संसार में कोई भी धर्मग्रन्थ ऐसा नहीं है जिसकी उत्तम बातों का उल्लेख वेदों में न हो। इस मौके पर जगदीश प्रसाद सेन ने आर्य विद्वान भवदेव शास्त्री की पुस्तक वेद का संदेश का भी उल्लेख किया। इस मौके पर लीलादेवी व श्रीमती सरला ने मधुर भजन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में आर्य समाज के प्रधान कृष्णगोपाल शर्मा, यज्ञसेन चौहान, चत्तुर्भुज कुमावत, एडवोकेट महेश पांड्या, बलवंत आर्य, ओमप्रकाश लोधा व हरिनारायण नागौरी आदि मौजूद थे।