पार्षद बृजेश तिवाड़ी ने अपने ही दल के पालिकाध्यक्ष को घेरा

  • Devendra
  • 01/03/2018
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नगरपालिका बिजयनगर : 50 करोड़ का बजट पारित
बिजयनगर। गत दिवस नगर पालिका के सभागार में आयोजित पालिका मंडल की बजट बैठक में कांग्रेस पार्षद बृजेश तिवाड़ी छाए रहे। तिवाड़ी ने अपने तीखे तेवर दिखाते हुए विभिन्न मुद्दों पर पालिकाध्यक्ष सचिन सांखला को घेरा। इस पर पालिकाध्यक्ष सचिन सांखला उनके कई सवालों को टाल गए।

बैठक में सर्वसम्मति से 49 करोड़ 94 लाख रुपए का बजट पारित किया गया।

पालिकाध्यक्ष सचिन सांखला की सदारत में आयोजित बजट बैठक की शुरुआत में नाथद्वारा के दिवंगत विधायक कल्याणसिंह चौहान और ब्यावर के सिलेण्डर ब्लॉस्ट कांड में मृतकों को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद कांग्रेस के पार्षद नौशाद मोहम्मद ने पिछली बैठक के निर्णय के मुताबिक लिए गए टेण्डरों के निरस्त होने पर गहरी नाराजगी जताई। इस पर पालिकाध्यक्ष ने कहा कि यह मामला उनकी जानकारी में नहीं है। इस पर सभी पार्षदों ने हैरानी जताई।

इसके बाद भाजपा पार्षद जगदीशसिंह राठौड़, कांग्रेस पार्षद संजू शर्मा, सहवरण सदस्य ललित शर्मा सहित अन्य पार्षदों ने पिछली साधारण सभा की कार्रवाई रिपोर्ट अमल में नहीं लाने पर नाराजगी का इजहार किया। सहवरण सदस्य ललित शर्मा ने कमला फैक्ट्री क्षेत्र में संकरे रास्ते पर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि जब पिछली बैठक में ही भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने का निर्णय ले लिया गया तो कार्यवाही अमल क्यों नहीं लायी गई।

पार्षद पत्नी रीतू कुमावत के साथ बैठक में मौजूद पार्षद संजय कुमावत ने अध्यक्ष की ओर मुखातिब होकर कहा कि हम छह माह बाद पालिका की किसी बैठक में भाग ले रहे हैं। बोर्ड गठन की पहली बैठक में ही हमने रोडवेज बस स्टैण्ड के नजदीक आश्रय स्थल बनाने के प्रस्ताव का विरोध किया था। इसके बावजूद पालिका प्रशासन ने हठधर्मिता अपनाते हुए सरकारी

धन का दुरुपयोग करते हुए वहां 51 लाख रुपए की राशि के आश्रय स्थल का निर्माण करा दिया जो कि जनता के पैसे की बर्बादी है। इस भवन में वर्तमान में ताले पड़े हैं। और इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। इस पर पालिका प्रशासन को जवाब देना चाहिए।

बैठक में कांग्रेस पार्षद बृजेश तिवाड़ी ने कहा कि कस्बे के जिन लोगों के पास फर्जी पट्टे हैं वे भी पालिकाकर्मियों की मिलीभगत से नामांतरण करवाकर पालिका को चपत लगा रहे हैं। इन्दिरा कॉलोनी के विवादित पट्टों के मामले में सभी पार्षदों ने स्थायी समाधान खोजने की मांग की। जिस पर अधिशासी अधिकारी कमलेश कुमार मीणा ने पार्षदों को आश्वस्त किया इसके लिए कमेठी गठित कर हल खोजा जाएगा।

बैठक में पालिकाध्यक्ष सचिन सांखला ने प्रस्ताव रखा कि पालिका क्षेत्र में जहां-जहां ओसीएफ की जमीनें हैं वहां पर सामुदायिक भवन का निर्माण होना चाहिए ताकि कस्बे वासियों को विवाह तथा अन्य सामाजिक आयोजन करने में सुविधा मिल सके। इस पर सभी पार्षदों ने सहमति जताते हुए प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया।

सहवरण सदस्य संजीव भटेवड़ा ने समझौता समिति के समक्ष एक ही व्यक्ति विशेष की 25 फाइलों के एक साथ आ जाने पर एतराज जताया। पालिका के उपाध्यक्ष सहदेवसिंह कुशवाह ने पालिकाकर्मियों पर अकर्मण्यता का आरोप लगाते हुए कहा कि कर्मचारियों की उदासीनता के चलते लोगों के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।

साथ ही उन्होंने कहा कि टेण्डर जारी होने के बाद भी निर्धारित समय में कार्य पूर्ण नहीं करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ पालिका प्रशासन को सख्त रवैया अख्तियार करना होगा। हम यहां जन सेवा के लिए चुन कर आए हैं। ऐसे में हमें भी जनता की कसौटी पर खरा उतरना होगा।

भूमि विशाल, फिर भी कंगाल
पालिका उपाध्यक्ष सहदेवसिंह कुशवाह ने कहा कि पिछली बैठक में विभिन्न विकास कार्यों के लिए अधिशासी अधिकारी ने पालिका में धन की कमी का हवाला दिया था। जबकि हकीकत यह है कि पालिका में 7 करोड़ से ज्यादा की जमाबंदी है।

इसी बीच पार्षद तिवाड़ी ने सदन में यह कहकर सनसनी फैला दी की नगर पालिका क्षेत्र में पालिका के स्वामित्व की 498.5 बीघा की बेशकीमती जमीन है। इसके बावजूद पालिका प्रशासन इस भूमि की सार-संभाल नहीं कर रहा है। इसके चलते जनहित के विकास कार्यों के लिए होने वाले विभिन्न निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में पालिका प्रशासन को चाहिए कि उक्त भूमि का रिकार्ड खंगाल कर इसकी सार-संभाल करें।

अतिक्रमण का मुद्दा उठाया
पार्षद तिवाड़ी ने अतिक्रमण सहित विभिन्न मुद्दों पर पालिकाध्यक्ष को घेरा लेकिन पूरी बैठक में दौरान जहां पार्षद तिवाड़ी के तेवर तल्ख रहे वहीं पालिकाध्यक्ष सांखला शांत बैठे रहे और जहां उचित लगा वहां तिवाड़ी को जवाब दिया तथा कुछ प्रश्नों को वे सफाई से टाल गए।

विकास शुल्क या धोखाधड़ी
फेराफेरी क्षेत्र सहित पटरी पार के वार्डों से पालिका प्रशासन अब तक विकास शुल्क के नाम पर करोड़ों रुपए की भारी भरकम राशि वसूल कर चुका है। इसके बावजूद इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग स्ट्रीट लाईट, सड़क, नाली व सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। विकास शुल्क वसूलने के बावजूद विकास का कोई काम न कर पालिका प्रशासन लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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