
निर्देशक विशाल पांड्या की ‘हेट स्टोरी 4’ एक बदले की कहानी है। पर इसमें बदले की दूसरी कहानियों से फर्क यह है कि बदला कोई पुरुष नहीं लेता है बल्कि एक लड़की या औरत लेती है।
निर्देशक विशाल पांड्या की ‘हेट स्टोरी 4’ एक बदले की कहानी है। पर इसमें बदले की दूसरी कहानियों से फर्क यह है कि बदला कोई पुरुष नहीं लेता है बल्कि एक लड़की या औरत लेती है। अपने भाई की हत्या के लिए। बदला लेने वाली इस लड़की का नाम है ताशा (उर्वशी रौतेला)। ताशा के भाई की हत्या करने वाले दो भाई हैं। दोनों भाइयों के पिता विक्रम खुराना (गुलशन ग्रोवर) इंग्लैंड में बरसों से बसे हुए हैं और वहां मेयर का चुनाव भी लड़ रहे हैं। उनके दो बेटे हैं।
आर्यन (विवान भटेना) और राजवीर (करण वाही)। दोनों भाइयों को अपनी विज्ञापन एजंसी के लिए एक नया चेहरा चाहिए। राजवीर इस नए चेहरे की खोज करता है और उसे मिलती है एक डांस क्लब में ताशा। आर्यन मिजाज से ऐयाश है और ताशा पर भी प्यार के फंदे डालता है। लेकिन राजवीर के बडेÞ भाई की निगाहें भी ताशा पर हैं हालांकि वह विवाहित है।
ताशा गजब की ग्लैरमस है। लेकिन उसके अपने इरादे हैं। उसका भी एक एजंडा है। फिर शुरू होता है सांप-सीढ़ी का खेल। राजवीर ताशा को अपना बनाना चाहता है और आर्यन भी। कौन जीतेगा,? ताशा किसकी होगी? क्या राजवीर यह जान पाएगा कि उसका बड़ा भाई उसकी माशूका को फंसाने में लगा हुआ है और क्या ताशा अपने भाई के हत्यारों से बदला लेने में कामयाब होगी? क्या विक्रम मेहरा मेयर बन पाएगा? इन्हीं सवालों और उत्सुकताओं के साथ ‘हेट स्टोरी 4’ आगे बढ़ती है।
फिल्म के मध्यांतर के पहले का हिस्सा वयस्कता की छाप लिए हुए है यानी इस हिस्से में कई हॉट दृश्य हैं। डांस के भी और बेडरूम के भी। लेकिन दूसरे हिस्से में फिल्म एक थ्रिलर बन जाती है। यही इसकी कमजोरी और यही ताकत भी। अगर यह सिर्फ क्राइम थ्रिलर के रूप में बनी होती तो शायद बॉक्स आॅफिस पर अधिक सफल होती।
लेकिन वयस्क का ठप्पा लगने की वजह से अपने प्रभाव में सीमित हो जाती है। जहां तक चरित्रों का सवाल है उर्वशी रौतेला ग्लैमरस भूमिका में सफल रही हैं। निर्देशक ने उनके कास्टूयम और ज्वेलरी पर काफी ध्यान दिया है। हर दृश्य में हेयर स्टाइल बदल जाता है। दोनों प्रमुख पुरुष कलाकार करण वाही और विवान भटेना सामान्य हैं। उनकी संवाद अदायगी में जज्बात नहीं दिखते हैं। लगता है मशीन के मुंह से संवाद बाहर आ रहे हैं।
इस कमजोर पहलू का कारण यह भी है कि निर्देशक का पूरा जोर उर्वशी रौतेला पर इतना केंद्रित है कि वे बाकी के किरदारों के अभिनय पर वे पूरा ध्यान नहीं दे पाए हैं। फिल्म की ज्यादातर शूटिंग इंग्लैंड में हुई है और यह अलग से कहने की जरूरत नहीं है कि सिनेमेटोग्राफी भी बहुत अच्छी है। लोकेशन भी आकर्षक हैं। फिल्म में किसी तरह का ढीलापन नहीं है।
यानी शुरू से आखिर तक कसावट है। हालांकि संगीत पक्ष औसत है और कोई भी गाना लबों पर चढ़नेवाला नहीं है। किसी बड़े स्टार के अभाव में ये आम दर्शकों को अपनी तरफ कम ही खींच पाएगी। कभी कभार कुछ निर्देशक युवा दर्शकों को खींचने के चक्कर में ग्लैमर पर इतना जोर दे देते हंै कि अच्छी कहानी का मलीदा बन जाता है। फिर भी सीमित अर्थों में ‘हेट स्टोरी 4’ ठीक ठाक है।