
बिजयनगर। जो भी व्यक्ति अपने जीवन में देना का भाव रखता है और पाप से बचने का भाव रखता हो तो उसका जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण बीतता है। यह बात आर्य विद्वान भवदेव शास्त्री ने यहां आर्य समाज मंदिर परिसर में आयोजित साप्ताहिक यज्ञ सत्संग कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने जीवन में सुख और शांति से जीना चाहते हैं लेकिन यह सबके नसीब में नहीं है। इस संदर्भ में वेद कहता है –
स्वस्ति पंथामनू चरेम सूर्याचन्द्र मसाविव।
पुनदर्दता धंता जानता संगमेमही।।
अर्थात् जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में देने का भाव व पाप से बचने का भाव अपना लिया तो उसके आस-पास दु:ख कभी नहीं फटकता। जिस प्रकार सूर्य व चन्द्रमा अपनी गति करते हुए सब जीव मात्र का कल्याण कर रहे हैं और आपस में कभी टकराव नहीं करते, उसी प्रकार मनुष्य को भी अपना जीवन कल्याणकारी कार्यों में लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को प्रकाशमय करके सूर्य जीवमात्र को शक्ति प्रदान करता है। वहीं चन्द्रमा की ललिमा मन को ठंडक पहुंचाती है। इस मौके पर आर्य समाज बिजयनगर के प्रधान कृष्णगोपाल शर्मा, मंत्री जगदीशप्रसाद सेन, यज्ञसेन चौहान, बलवंत गर्ग व मुकेश सोनी सहित कई आर्यसमाजी मौजूद थे।