
नई दिल्ली। इराक के मोसुल में लापता 39 भारतीयों के बारे में राज्य सभा में सुषमा स्वराज ने कहा कि उनकी हत्या आईएसआईएस ने कर दी है। उनकी हत्या साल 2014 में ही कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि हरजीत मसीह की कहानी झूठी है और लापता 39 भारतीय मारे गए।
मारे गए युवकों में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब के लोग शामिल थे। पहाड़ खुदवाकर शवों को निकाला गया। शवों को बगदाद भेजा गया था। डीएनए सैंपल मैच कराने के लिए परिजनों के डीएनए भेजे गए थे। सबसे पहले संदीप नाम के युवक का डीएनए टेस्ट हुआ था। अभी तक 39 में से 38 के शवों के डीएनए टेस्ट हो चुके हैं।
39 वें शख्स के मां-बाप नहीं थे, लिहाजा उनके दूर के रिश्तेदार का डीएनए टेस्ट करवाया गया, जो कि 70 फीसद तक मैच हो गया है। इस मामले में चार राज्य पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार शामिल थे। सुषमा ने बताया कि वीके सिंह इराक जाएंगे और सभी के शवों को भारत लेकर आएंगे। विमान के जरिए शवों को पंजाब, हिमाचल, पटना और पश्चिम बंगाल पहुंचाया जाएगा।
चार साल पहले ही दो बांग्लादेशियों के हवाले से यह जानकारी मिली थी कि 39 भारतीयों की हत्या की जा चुकी है। मगर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इससे पहले कई बार कहा था कि बिना ठोस सबूतों के किसी व्यक्ति को मृत घोषित नहीं करूंगी।
रडार से खोजे गए शव: सुषमा स्वराज ने कहा कि आईएसआईएस के चुंगल में फंसे 39 भारतीय एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। उन्हें मोसुल से बलूच ले जाया गया। जनरल वीके सिंह, भारतीय राजदूत और इराक के एक अफसर ने बलूच में जाकर लापता भारतीयों की खोज की।
बलूच में जानकारी मिली कि एक पहाड़ ने नीचे कई लोगों को एक साथ दफनाया गया है। बाद में डीप पेनिट्रेशन रडार के जरिए पहाड़ में दफनाए गए लोगों का पता लगाया गया। शवों के साथ कुछ आईकार्ड और कुछ जूते मिले थे। विदेश मंत्री सुषमा ने कहा कि यह काम काफी कठिन था, जिसके लिए वीके सिंह ने बहुत मेहनत की।