
मुंबई। मुंबई में छात्रों का नौकरी को लेकर किया जा रहा प्रदर्शन खत्म हो गया है। ट्रेनों की पटरियों को खाली करवाया गया। प्रदर्शन की वजह से करीब 4 घंटे रेलवे का यातायात प्रभावित हुआ। कुछ स्थानों पर छात्र अभी भी मौजूद हैं। दादर से माटुंगा रेल सेवा बहाल कर दी गई है। महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फड़नवीस ने बयान जारी करते हुए कहा कि मैं अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में था। नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अप्रैंटिस के लिए 20% सीटें आरक्षित हैं लेकिन वे अधिक मांग कर रहे हैं। आंदोलनकारियों के पत्थराव शुरू करने के बाद लाठीचार्ज किया, जिसमें कोई भी घायल नहीं हुआ।
मुंबई में छात्रों ने रेलवे में नौकरी की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था। छात्रों को पता था कि लोकल ट्रेन मुंबई की जान है और वहां की जिंदगी की रफ्तार है, इसलिए उसने अपने विरोध के लिए इसी को निशाना बनाया था। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने माटुंगा और छत्रपति शिवाजी टर्मिनिल रेलवे स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया था। प्रदर्शनकारियों को कांग्रेस और एमएनएस का समर्थन मिला था। छात्र रेल पटरियों पर बैठ गए थे और अपनी मांगों पर अड़े हुए थे। ट्रेनों का आवागमन बाधित हो रहा था और आम-जनजीवन प्रभावित हो रहा था। ऑफिस टाइम होने और सीएसटी-माटुंगा की लाइन पर ज्यादा ट्रैफिक होने से लोगों को भी परेशानी हो रही थी। प्रदर्शन के कारण लोकल ट्रेनों के साथ ही लंबी दूरी के ट्रेनों में भी देरी हो रही थी। छात्रों को रेल पटरियों से हटाने के लिए पुलिस मौके पर पहुंची थी।
मध्य रेलवे के एक अधिकारी ने बताया था कि छात्रों ने आज सुबह करीब सात बजे रेल पटरी को जाम कर दिया जिससे माटुंगा और सीएसटी के बीच उपनगरीय के साथ- साथ एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन भी प्रभावित हुआ।अधिकारी ने बताया कि माटुंगा और सीएसटी के बीच सभी चार लाइनें प्रभावित हैं। पुलिस और रेलवे अधिकारी छात्रों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने कहा था कि, ‘पिछले चार साल से कोई भर्ती नहीं हुई है। हम एक जगह से दूसरी जगह लगातार संघर्ष कर रहे हैं। 10 से अधिक छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। हम ऐसा होने नहीं दे सकते। एक अन्य छात्र ने कहा, ‘हम यहां से तब तक नहीं हटेंगे जब तक रेल मंत्री पीयूष गोयल हमसे आकर नहीं मिलते। डीआरएम ( मुंबई डिविजन के मंडल रेल प्रबंधक) से किए हमारे सभी अनुरोध अनसुने रहे हैं।’ प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग थी कि 20 फीसदी कोटा को हटा दिया जाए और स्थायी नौकरी दे दी जाए।खबरों की मानें तो ये अप्रेंटिस स्टूडेंट सालों तक काम कर चुके हैं लेकिन इन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है।