
अजमेर। राजस्थान के अजमेर में विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 806वें सालाना उर्स के मौके पर आज जुम्मे की बड़ी नमाज अदा की गई। दुनियां के विभिन्न क्षेत्रों से आए करीब दो लाख जायरीनों ने ख्वाजा गरीब नवाज के सजदे में सर झुकाए और नमाज अदा की।शहर काजी मौलाना तौसीफ अहमद सिद्दीकी ने सामूहिक नमाज अदा कराई। नमाज की शुरुआत दरगाह स्थित शाहजहांनी मस्जिद में जुम्मे की अजान से हुई और उसके बाद खुत्बा हुआ।
अपराह्न डेढ़ बजे दरगाह के पीछे पहाड़ी पर स्थित बड़े पीर साहब की दरगाह से पहली तोप दागी गई। जिसके साथ ही अकीदतमंदों ने सुन्नत अदा की।पांच मिनट बाद ही दूसरी तोप दागी गई। इस संकेत के साथ खुत्बे की अजान हुई और मौलाना तौसीफ अहमद ने खुत्बा-ए-जुम्मा पढ़ा। इसी तरह पौने दो जे तीसरी तोप दागी गई, जिसके साथ ही जुम्मे की नमाज सामूहिक रूप से शुरू हुई। नमाज के लिए लोग दरगाह परिसर में सुबह से ही सफे बनाकर बैठना शुरू हो गए।
दरगाह के निजाम गेट से ढाई दिन के झोपड़े की ओर, दरगाह से नला बाजार होते हुए मदार गेट तथा दरगाह से दरगाह बाजार, धानमंडी, दिल्ली गेट होते हुए महावीर सर्किल तक जायरीनों ने नमाज अदा की। उर्स के दौरान जुम्मे की नमाज के खास धार्मिक महत्व के मद्देनजर अजमेर शहर के अन्य प्रमुख अकबरी मस्जिद, संदली दरवाजा, चिल्ला कुतुब साहब, मस्जिद घंटाघर, मस्जिद कचहरी, ऋषि घाटी चिल्ला , सोलहखंबा, मीना बाजार, आनासागर बारादरी सहित दरगाह से करीब 12 किलोमीटर दूर कायड़ विश्राम स्थली पर भी जायरीनों ने नमाज अदा की।
दरगाह कमेटी ने कायड़ विश्राम स्थली पर जायरीनों के लिए नमाज के लिए अस्थायी रुप से इबादत खाने तैयार किए। दरगाह स्थित नए बनाए गए महिला कॉरीडोर में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने भी नमाज में हिस्सा लिया। इस मौके अजमेर शहर के समीपवर्ती गगवाना, सोमलपुर, पीसांगन, ब्यावर आदि स्थानों से लोग अजमेर पहुंचकर नमाज अदा की। पूरा मेला क्षेत्र जायरीनों से खचाखच भरा था। नमाज के लिए दरगाह कमेटी की ओर से माकूल इंतजाम किए गए।
इस अवसर पर जिला एवं पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा, यातायात तथा अन्य व्यवस्थाएं की गई। पुलिस ने सुबह से ही दरगाह की ओर जाने वाले मार्गों पर सभी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। नमाज खत्म होते ही दरगाह परिसर एवं दरगाह क्षेत्र के करीब आधा किलोमीटर से ज्यादा हिस्से में जायरीनों की भीड़ के चलते पुलिस को व्यवस्था बनाए रखने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। छह दिवसीय उर्स के दौरान जुम्मे की नमाज के बाद अब 25 मार्च को अपराह्न डेढ़ बजे कुल की रस्म अदा की जाएगी और जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाएगा।